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बुधवार, मई 17, 2006

यह तो कमाल हो गया

आज वेब दुनिया पर एक समाचार पढ़ कर आश्चर्य हुआ कि वियतनामी प्रधान मंत्री "फ़ान वान खाई" लगातार (मात्र) १० वर्षों तक प्रधान मंत्री रहने के बाद सेवा निवृत होना चाहते हैं। निवृत होने के लिये जो वजह उन्होने बताई है वह वजह सुन कर और भी आश्चर्य होता है कि वे अब नयी पीढ़ी के लोगों को मौका देना चाहते हैं।

इस जगह हमारे देश में यह घटना हुई होती तो त्याग के नाम पर और उनके चमचे चीख चीख कर देश को सर उठा लेते तथा समारोह कर करोड़ों रुपये खर्च दिये जाते

श्री खाई अभी मात्र ७३ वर्ष के है जो भारतीय राजनीती के हिसाब से काफ़ी युवा हैं। कहाँ हमारे बुढ्ढे नेता जिनके पाँव कब्र में लटके रहते हैं फ़िर भी नेतागिरी या पद का मोह नही छोड़ पाते।

विश्वास नहीं होता;

डेक्कन क्रानिकल, हैदराबाद १६-०५-२००६

में छपी यह तस्वीर देख लें।


4 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

भैया,
फोटू तो बढिया छांट के लाये हो

आशीष

विजय वडनेरे ने कहा…

आयं,
अब गिरे या तब गिरे हो रये हेन्गे भीया जे तो.

मोनीटर मत हिला देना, नी तो फ़ोटू मे भी टपक जांगे.

बेनामी ने कहा…

भाई हमारे यहां तो त्याग का मतलब हैं, एक और चुनाव का बोझ देश पर डाल कर वापिस उसी पर आ जमो.
अगर वोट देने कि उमर तय हैं, चुनाव लङने कि उमर तय हैं तो रिटायर होने कि उमर भी तय होनी चाहिए.

ई-छाया ने कहा…

सागर भाई,
शायद आपको मालूम हो कि फोटो वाले व्यक्ति ने पिछले कई सालों में एक भी चुनाव नही जीता है। भारत की जनता का दुर्भाग्य कि बिना उसकी सहमति ऐसे नेता "ऊपर" से थोप दिये जाते हैं।