Subscribe

RSS Feed (xml)

Powered By

Skin Design:
Free Blogger Skins

Powered by Blogger

शनिवार, मई 06, 2006

रजनीश मंगला जी कि टिप्पणी के बारे में एक सवाल

एडोल्फ़ आईकमान के लेख पर रजनीश मंगला जी की टिप्पणी थी कि कभी कभी में सोचता हुँ कि जर्मनी में रह कर गल्ती तो नहीं कर रहा!" इस बारे मे में रजनीश मंगला जी से पुछना चाहुंगा कि क्या अब भी वहाँ यहूदियों को उसी नज़र से देखा जाता है जिस नज़र से प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के बीच में देखा जाता था?
दूसरी बात यह है कि प्रथम युद्ध में जर्मनी की पराजय के बाद सम्राट विल्हेम कैसर देश की जनता को विजेता मुल्कों की सेना के हवाले छोड़ कर भाग गये और अत्याचारों का जो सिलसिला विजेता मुल्कों ने जर्मनी की मासूम जनता पर ढ़ाना शुरू किया वह असहनीय था, और उस बुरे समय में जर्मनी के यहूदियों ने उन्हे ब्याज पर पैसे दे कर लूटना शुरू कर दिया था। तब देश की दुखी जनता को उस संकट से उबारने के लिये हिटलर ने विजेता मुल्कों के सामने विद्रोह किया और देश की दुखी जनता को संकट से उबारने की कोशिश की,और फ़िर शुरु हुआ विश्व युद्ध-२।
हिटलर ने विजेता मुल्कों के साथ यहुदियों को भी अपना दुश्मन मान कए उन्हे मरवाना शुरू किया जो जरमनी की हार और उसकी आत्महत्या पर ही जाकर रुका, तब तक ६० लाख यहूदी साफ़ हो चुके थे।
में मानता हुँ कि हिटलर ने अपने जीवन में एक ही सबसे बड़ी भूल बस यही की थी, कि उसने सारे विश्व के यहूदियों को अपना दुश्मन माना; हिटलर की उस भूल को अगर एक बार दरकिनार किया जाय या छोड़ दिया जाय तो सारे विश्व में हिटलर से बड़ा देशभक्त पैदा नहीं हुआ!!
क्या में सही हूँ, आप अपनी राय दें।

7 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

मित्र राष्ट्रो ने जर्मनी पर जो अत्याचार किया था, वह इतिहास कि किताबों में कभी नही छपा. हिटलर ने जिस प्रकार जर्मनी को अपने पैरों पर बहुत ही कम समय में खङा किया वह काबिले तारिफ हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण हैं कि हम इतिहास को पश्चिम के दृष्तिकोण से देखते हैं. हिटलर को सभी गालियां देते होंगे पर कभी अमेरीका के उस राष्ट्रपति को गालियां खाते सुना हैं जिसने चंद सेकेंडो में जापन के दो शहर जला दिये थे.
हिटलर को मैं महान देशभक्त नेता मानता हुं. जो लोग दुसरे विश्व युद्ध के लिए हिटलर को जिम्मेदार मानते हैं उन्हे इतिहास पढना चाहिए.

ई-छाया ने कहा…

हिटलर ने अत्याचार किया था, यह आन्शिक सत्य है, पूर्ण सत्य बिना इतिहास के गहन अध्ययन के ज्ञात नही होगा

Basera ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
Basera ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
Basera ने कहा…

सागर चन्द जी। मैं इस प्रविष्टी का उत्तर कुछ ही देर में दूँगा। अभी इतना ही कहूँगा कि यहूदिओं को अब उस नज़र से नहीं देखा जाता बल्कि एक आम जर्मन हिटलर वाले इतिहास से शर्मिन्दा है। डाखाऊ कौन्सेन्ट्रेशन कैंप में अब बड़े बड़े अक्षरों में लिखा है 'nie wieder', मतलब फिर कभी नहीं।

Sagar Chand Nahar ने कहा…

धन्यवाद रजनीश जी, संजय जी एवं छाया जी

Sunil Deepak ने कहा…

सागर जी,
शायद आप को हिटलर के बारे में और भी पढ़ना चाहिए. मेरा ख्याल है कि जब हम किसी व्यक्ति ने क्या किया उसके बल पर उसकी सारी कौम को बुरा भला कहने या सोचने लगते हैं तो गलती करते हैं. यहूदियों को मारने के लिए यह कारण कहा गया कि वह गरीब जरमनों का खून चूसते थे, तो फ़िर अपंग लोगों, समलैंगिक लोगों इत्यादि को मारने के लिए हिटलर ने क्या कारण बताये थे, कि यह सब नसलें खराब थीं और इनसे जरमनों की असली नस्ल को खतरा था ? आसपास के अन्य देशों पर आक्रमण करके उनपर शासन करने की चाह रखना, आप की दृष्टि में ठीक था क्या ?
सुनील