द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी की पराजय और हिटलर के आत्महत्या कर लेने के बाद हिटलर की सेना के सारे जिन्दा बचे बड़े अधिकारी, जर्मनी से भाग गये। उनमें से एक अधिकारी एडॉल्फ़ आईकमान जो कि खास यहुदी जनता को सजा देने के लिये बनायी गयी खास टुकड़ी और गेस्टापो का मुखिया था, और जिसने विश्व युद्ध के दौराने मारे गये ६० लाख यहुदियों में से लगभग ५० लाख यहुदियों (जिनमें बच्चे और महिलायें भी थी) को तो खुद आइकमान ने अपने मार्गदर्शन और अपने सामने मरवाया था।
एसा क्रूर पशु समान इंसान जर्मनी की पराजय के बाद जरमनी से अपनी सारी पहचान मिटा कर भाग कर अर्जेन्टीना में जा छुपा और अर्जेन्टीआ में आईकमान रिकार्डो क्लेमेंट के नाम से रहने और मर्सेडीज बेन्ज़ में एक मामुली मज़दूर का काम करने लगा।
इस्रायल उसे भूला नहीं था और उसे उस के किये कर्मों की सजा देने के लिये मचल रहा था । परन्तु आइकमान शायद भूल गया था कि उस का पाला इस्रायल की जासूसी संस्था मोसाद के शातिर जासूसों से पड़ने वाला है। किस तरह मोसाद के प्रमुख इसर हेरेल ने इस्रायल से हज़ारों किलोमीटर दूर अर्जेन्टीना से उसे इस्रायल ला कर ( अपहरण कर) आईकमान को उसके अपराधों की सजा दिलवायी, बहुत जबरदस्त कहानी है अगर आप एसे वाकई पढ़ना चाहते हैं तो यहाँ, यहाँ और यहाँ देखें पल पल आश्चर्य में डाल देने वाली और मोसाद के जासूसों को चुनौती देने वाली कहानी।यहाँ मोसाद के प्रमुख इसर हेरेल के किताब दी हाऊस ओन गेरीबाल्डी स्ट्रीट यहाँ देखिये।
पॉल पॉट के बारे में फ़िर कभी.....!!
5 टिप्पणियां:
कभी कभी मैं सोचता हूँ कि जर्मनी में रहकर मैं कोई ग़लती तो नहीं कर रहा!
सागर भाई
बडी रोचक जानकारी लाते हैं आप हरदम। :)
समीर लाल
अच्छा है अच्छा लगा
मस्त माल लिखते हो यार.
पर भईया, मैं तो रजनीश के बारे में सोच रहा हूँ.
भाई, कोई परेशानी तो नहीं जर्मनी में ???
:D
बहूत ज्ञानवर्धक जानकारी दी है, साधुवाद
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