tag:blogger.com,1999:blog-238684742024-03-07T09:40:23.248+05:30दस्तकगिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में
वो तिफ़्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलते हैंSagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.comBlogger43125tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1161857984173556192007-09-01T11:15:00.000+05:302007-09-01T11:15:46.122+05:30पता परिवर्तन<strong>मेरे <span class="">चिट्ठे<br /></span></strong><br /><br /><a href="http://www.nahar.wordpress.com/">॥दस्तक॥</a><br /><a href="http://www.mahaphil.blogspot.com/">गीतों की महफिल</a><br /><a href="http://www.mahaphil.mypodcast.com/">महफिल</a><br /><a href="http://www.meerabai.wordpress.com/">मीरा बाई के भजन</a>Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1153556132169931622006-07-22T13:35:00.000+05:302006-07-22T16:07:11.733+05:30कुछ और गणितज्ञरत्ना जी ने कुछ दिनों पहले जिसे <a href="http://soniratna.blogspot.com/2006/07/blog-post_115270345031793044.html">देखा जिसे इलाहाबाद-लखनऊ पथ पर</a> और अपने चिठ्ठे पर तेजस्वी बच्चे का जिक्र किया जो सड़कों पर अपना "गियान" (ज्ञान) बेचता था, इस दिशा में और अध्ययन किया तो एसे कई और तेजस्वी दुनिया में हो चुके हैं। उनमें से कुछेक का जिक्र यहाँ करना चाहता हुँ।<br /><strong><a href="उनके">कार्ल गाऊस:</a></strong><br />मात्र तीन वर्ष की उम्र में अपने पिता के ईंट के भट्टे पर खेलते खेलते अपने ज्ञान का पर्चा देना शुरू कर दिया। जब गाऊस ठीक ढंग से बोलना भी नहीं जानते थे। पिता अपने मजदूरों को तनख्वाह देने के लिये जो सूची बना रखी थी उसे देख कर गाऊस बोले " Total is wrong- Total is wrong" पिता को आश्चर्य हुआ, उन्हे बालक को पूछा कहाँ ? तो गाऊस ने अपनी ऊंगली वहाँ रख दी जहां वाकई जोड़ में गलती थी। 19 वर्ष में " कार्ल गाऊस फ़्रेडरिक" ने गणित के कई सिद्धान्तों की खोज की और इन्ही गाऊस को हम उनके चुंबकीय खोज के अलावा चुंबकत्व को मापने की ईकाई "गाऊस" के रूप में भी जानते हैं।<br /><br /><strong>जाकी ईनोदी:</strong><br />रत्ना जी के बताये बच्चे की तरह ईटली के जाकी ईनोदी पशु चराते चराते एक बहुत बड़े गणितज्ञ बने थे, इनोदी अपने ज्ञान को उसी तरह प्रदर्शित किया करते थे जैसे वो नन्हा बालक करता है। फ़र्क यही है कि वो सड़कों पर करता है और इनोदी स्टेज पर करते थे। एक बार उन्होने 1,19,55,06,69,121 का वर्गमूल तो मात्र 23 सैकण्ड में ( 3,45,761) बता दिया था<br /><br /><strong>जेडेडिया बक्स्टन:<br /></strong>अनपढ़, और निपत देहाती, लिखना और पढ़ना बिल्कुल नहीं जानने वाले बक्सटन खेती करते थे, परन्तु दिमाग इतना तेज की खेत में पैदल चल कर उसका क्षेत्रफ़ल सचोट बता देते थे, वैज्ञानिकों ने उनको एक बार आजमाया और बाद में एक नाटक दिखाने ले गये, नाटक के अंत मे बक्सटन ने बताया कि नाटक में कलाकार कितने शब्द बोले और कितने कदम चले, वैज्ञानिकों ने स्क्रिप्ट देखी तो पाया कि बक्सटन बिल्कुल सही थे।<br /><br /><span style="font-size:130%;color:#ff0000;"><strong>भारतीय गणितज्ञ:</strong></span><br /><strong><span style="font-size:130%;color:#ff0000;"></span></strong><br /><strong><a href="http://www.edmatrix.us/news/shyam.asp">श्याम मराठे:</a></strong><br />नाम के इस गणितज्ञ ने 24,24,29,00,77,05,53,98,19,41,87,46,78,26,84,86,96,67,25,193 हाश... इतनी लम्बी संख्या का 23वां वर्गमूल ( 57) कुछ ही मिनीट में बता दिया और वो भी मौखिक।<br /><br /><a href="http://en.wikipedia.org/wiki/Divesh_Shah"><strong>दिवेश शाह: </strong></a><br /><br /><a href="http://en.wikipedia.org/wiki/Shakuntala_Devi"><strong>शकुन्तला देवी:</strong></a><br />इन मानव कम्प्युटर महिला के बारे में बताने की आवश्यकता है?<br /><br /><a href="http://en.wikipedia.org/wiki/Srinivasa_Ramanujan"><strong>श्रीनिवास रामानुजन आयंगर:</strong><br /></a>के बारे में भी कुछ लिखना जरूरी नहीं लगता, क्यों कि हर भारतीय इन्हें अच्छी तरह से जानते हैं।<br /><br />इन के अलावा <a href="http://en.wikipedia.org/wiki/Mental_calculator">लम्बी सुची </a>(लगभग 100 लोगों की)<br /><br />सौजन्य: <a href="http://www.safari-india.com">सफ़ारी</a>Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com13tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1153486673947495732006-07-21T18:21:00.000+05:302006-07-21T18:27:53.963+05:30क्या भारत इसराइल बन सकता है?<div align="justify"><br />आतंकवाद पर परिचर्चा में अनुनाद जी की एक टिप्पणी थी<br />Israel kee neeti well-researched neeti hai. Bhaarat me usake alaawaa kuCh kaam nahee karegaa. Kisee galatphahamee me mat raho.<br />और संजय बेंगानी जी की एक टिप्पणी थी भारत इज्राइल क्यों नहीं बन सकता?<br />मैने इसराईल के बारे में जितना कुछ पढ़ा है मुझे पता चला है कि इसराईल को विदेशों में रह रहे यहूदी अपने देश के लिये बहुत पैसा भेजते हैं, और इसराईल में रह रहे यहूदियों का देश के लिये रक्षा फ़ंड मे वार्षिक १००० डॉलर हिस्सा होता है, यानि लगभग ४,८०,००,००,००० डॉलर(एकाद बिन्दी कम ज्यादा हो तो जोड़ लें) अब भारत का क्षेत्रफ़ल इसराईल से लगभग १५८ गुना ज्यादा है, और रक्षा बजट मात्र २.५ गुना क्या ऐसे में संभव है कि हम इसराईल की तरह आक्रामक हों जायें? क्या भारत की आर्थिक स्थिती इतनी समृद्ध है कि हम बार बार युद्ध कर सकें।<br />पैसा तो भारत को भारतीय एन आर आई भी बहुत भेजते है परन्तु वह देश के रक्षा कोष की बजाय़ मंदिरों, मदरसों और गिरजाघरों की दीवारें बनाने में ही खर्च हो जाता है। मुझे भी इसराईल के प्रति बहुत आकर्षण है, अन्याय के विरुद्ध लड़ने का उनका तरीका जबरदस्त है परन्तु जिस दिन सुनील जी का यह चिठ्ठा पढा़ मन सोचने को मजबूर हो गया। क्या सही है क्या गलत मन इसी उधेड़बुन में है।<br />सुनील जी ने अपने इस <a href="http://www.kalpana.it/hindi/blog/2006/06/blog-post_26.html">चिठ्ठे</a> में बहुत अच्छा लिखा है कि "मैं मानता हूँ कि केवल बातचीत से, समझोते से ही समस्याएँ हल हो सकती हैं, युद्ध से, बमों से नहीं. अगर एक आँख के बदले दो आँखें लेने की नीति चलेगी तो एक दिन सारा संसार अँधा हो जायेगा"</div>Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1152784475479953372006-07-13T15:07:00.000+05:302006-07-13T15:36:41.363+05:30अनुगूँज- चुटुकुले-२<a href="http://www.blogger.com/"><img alt="Akshargram Anugunj" hspace="5" src="http://akshargram.com/images/anugunj.jpg" align="right" vspace="5" border="0" /></a><br /><br />गब्बर की धमकी से डर कर चुटुकुलों की अगली कड़ी प्रस्तुत है।<br />एक छोटे बच्चे से शिक्षिका ने पूछा " क्यों टिंकू तुम दो दिन स्कूल क्यों नहीं आये ?<br />टीचर वो क्या है कि मेरे पास एक ही ड्रेस है और वो परसों मम्मी ने धोकर सुखाई थी तो मैं स्कूल कैसे आता ? पूरे दिन बिना कपड़ों के घर पर रहना पड़ा।<br />अच्छा फ़िर कल क्यों नहीं आये ?<br />कल मैं आ रहा था टीचर पर जब मैं आपके घर के बाहर से निकला तो देखा कि आपके कपड़े भी सूख रहे थे।<br /><br />*****<br /><br />एक बार एक वैज्ञानिक ने एसे कम्प्युटर का अविष्कार किया जो सब कुछ बता सकता था<br />एक आदमी ने सवाल किया मेरे पिताजी अभी कहाँ है ?<br />कम्प्युटर ने जवाब दिया अभी वे कलकत्ते के एक बार में शराब पी रहे हैं<br />आदमी ने कहा गलत " मेरे पिताजी को गुजरे कई वर्ष हो गये है"<br />कम्प्युटर ने फ़िर कहा तुम्हारी माँ के पति को गुजरे कई वर्ष हो गये हैं पर तुम्हारे पिता अभी कलकत्ते के बार में शराब पी रहे हैं ।<br /><br />*****<br /><br />बॉटनी (कृषि विज्ञान) में स्नातक हो कर एक युवक घर आया तो देखा उसके पिताजी पेड़ों को पानी पिला रहे थे।<br />उसने कहा पिताजी आप ये क्या कर रहे हो इस तरह पत्तों पर पानी डालोगे तो इस पेड़ पर कभी भी चीकू नहीं लगेंगे।<br />पिता ने कहा बेटा वो तो तब भी नहीं लगेंगे जब मैं इस की जड़ों में पानी लुंगा क्यों कि यह चीकू का नहीं केले का पेड़ है।<br /><br />*****<br /><br />ट्रेन में एक यात्रा के दौरान एक प्रेमिका ने कहा " जानू मेरे सर में दर्द हो रहा है"<br />प्रेमी ने उसके सर को चूम लिया बस अब ठीक है प्रेमिका ने कहा " हाँ"<br />कुछ देर के बाद फ़िर प्रेमिका ने कहा जानू मेरे हाथ में दर्द हो रहा है" प्रेमी ने फ़िर वैसा ही किया और पूछा अब ठीक है?<br />प्रेमिका ने फ़िर कहा " हाँ"उपर की बर्थ पेर बैठे एक सज्जन से रहा नहीं गया उन्होने प्रेमी से पूछा<br />"क्यों जी क्या आप पाईल्स ( मस्से) का भी इलाज करते हो ? "<br /><br />*****<br /><br />बाथरूम में धमाके की आवाज सुन कर पत्नी घबरा गई और पूछा क्या हुआ?<br />पति अन्दर से बोले कुछ नहीं जरा बनियान गिर गई थी।<br />बनियान गिरने से इतनी तेज धमाके की आवाज?<br />हाँ मैने पहन जो रखी थी।<br /><br />******<br />७५ वर्ष की उम्र में चीनी भाषा सीख रहे संता सिंह जी से मित्रों ने जब इसकी वजह पूछी तो संता सिंह ने बताया उन्होनें कल ही एक अनाथ २ महीने के चीनी (Chiness) शिशु को गोद लिया है।<br />******<br />सावधान अगर आप बस, ट्रेन, प्लेन या कहीं से भी जा रहे हो और किसी महिला/ लड़की के हाथ में धागा, फ़ूल, चैन या कोई भी चमकती चीज़ दिखाई दे तो वहाँ से तुरंत भाग जाईये,<br />यह चीज राखी भी हो सकती है, आपकी जरा सी लापरवाही आपको भाई बना सकती है।<br />........पुरूष हित में जारी......<br /><br />******<br /><br />जज ने वकील को कहा "तुम अपने सीमा से बाहर जा रहे हो , मैं तुम्हें कोर्ट की अवमानना के जुर्म में गिरफ़्तार करवा सकता हुँ"<br />कौन साला कहता है ?<br />ज ने कहा तुमने मुझे साला कहा<br />नहीं मी लोर्ड मैने यह कहा कौन सा ला ( Law) कहता है<br /><br />******<br /><br />एक बार एक हवाई यात्रा के दौरान एक भारतीय सेना के मेजर संता सिंह और पाकिस्तानी सेना के दो मेजर पास पास की सीट पर बैठे थे, अचानक पाकी सेना के एक मेजर ने कहा मैं ठंडा लेकर आता हुँ, संता सिंह जी ने विनम्रता से कहा आप बेठिये मैं लेकर आता हुँ।<br />संता सिंह जी ने जूते उतारे हुए थे सो भूल से जूतों को पहने बिना ही ठंडा लेने चले गये, तब तक पाकी मेजर ने मौका देख कर जूतों में पान की पिचकारी मार दी, थोड़ी देर बाद दूसरे ने भी एसा ही किया, संता सिंह जी को पता नहीं चला, लंदन एयरपोर्ट पर जब उन्होने जूते पहने तो उन्हे पता चल गया कि उनके साथ क्या हुआ है,<br />उन्होने उन दोनो मेजर को अपने पास बुलाया और बोले<br />यार हम कब सुधरेंगे <strong>"कब तुम जूतों में पान की पीक की पिचकारी मारना और हम तुम्हारे कोल्ड ड्रिंक में माय ओन कोला ( my own cola -Urin) मिलाना बन्द करेंगे।</strong><br /><br />******<br />एक बार एक सेठ डॉक्टर के पास गये और बोले साहब मुझे नींद कम आती है और कुछ कब्जियात भी रहती है<br />डॉक्टरने दो पुड़िया देते हुए कहा सुनो इसमें एक पुड़िया में नींद लाने और दूसरे में पेट साफ़ करने की दवाई है, ध्यान रखना ये दोनो दवाई साथ साथ मत ले लेना<br /><br />*****<br /><br />लुधियाना के संता सिंह जी ने डॉक्टर को फ़ोन किया<br />डॉक्टर साहब मैं ६ साल पहले कब्जियात का इलाज करवाने के लिये आपके पास आया तब आपने कहा था रोज ३ किलोमीटर चलने के लिये ?<br />डॉक्टर ने कहा तो, अब तुम कहाँ से बोल रहे हो ?<br />साहब अब मैं त्रिवेन्द्रम तक तो पहुँच गया हुँ।<br /><br />*****<br /><br />लुधियाना के संता सिंह जी ने एक बार फ़िर से डॉक्टर को फ़ोन किया<br />डॉक्टर साहब मैं ६ साल पहले आपके पास सर्दी जुकाम के इलाज के लिये आया तब आपने मुझे नहाने से मना किया था"<br />डॉक्टर ने कहा तो,<br />संता सिंह जी ने पूछा क्या अब मैं नहा सकता हुँ<br />टैगः <a href="http://technorati.com/tag/anugunj" rel="tag">anugunj</a>, <a href="http://technorati.com/tag/अनुगूँज" rel="tag">अनुगूँज</a>Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1152723566816683282006-07-12T22:26:00.000+05:302006-07-13T10:18:20.246+05:30क्या हर मुसलमान बुरा होता है-2<div align="justify"><br /><a href="http://sagarnahar.blogspot.com/2006/07/blog-post_115270046085224711.html">पिछली</a> प्रविष्टी लिखने से मेरा आशय किसी भी धर्म को क्लीन चिट देना या बुरा कहना से नहीं है। मेरे लेखों में कई विरोधाभास हो सकते हैं, उस का उत्तर मैं आगे देने की कोशिश करूंगा।<br />अच्छाई और बुराई यह मानवीय गुण है जो हर धर्म के लोगों में पाये जाते हैं। जिस तरह मैने शमीम मौसी को देखा है उस तरह एक और मुसलमान परिवार को देखा है जो हिन्दुओं से सख्त नफ़रत करते हैं।<br />उन दिनों की बात है जब मैं मोबाईल रिपेयरिंग का कोर्स मुंबई से सीख रहा था, रोज सुबह ५.३० की फ़्लाईंग रानी से मुंबई जाना और उसी ट्रेन से वापस आना।<br />एक दिन मुंबई से वापसी यात्रा के दौरान एक मुस्लिम परिवार साथ में था एक नवपरिणित महिला जो अपने मायके भरूच जा रही थी,एक ७-८ साल की बच्ची और उनके अब्बा भी थे। अब्बा और दीदी ऊँघने लगे और जैसा कि बच्चों की आदत होती है कविता बोलने/गुनगुनाने की बच्ची कुछ इस तरह बोलने लगी,<br />अल्लाह महान है<br />भगवान, भगवान नहीं शैतान है।<br />मैने बच्ची को पूछा आपको और क्या क्या आता है तो सुनिये उस ७-८ साल की बच्ची ने क्या बताया " भगवान दोजख/ जहन्नुम में रहते हैं और अल्लाह जन्नत में रहते है, हिन्दू काफ़िर होते हैं। और कई बाते उस नन्ही बच्ची ने हिन्दूओं के सम्मान में सुनायी जो यहाँ लिखी नहीं जा सकती। फ़िर मैने उस बच्ची को पूछा यह सब आपको किसने बताया । उसने कहा हमारे मदरसे के मौलवी साहब ने। उस बच्ची को मैने समझाय़ा नहीं बेटा यह गलत है ना हिन्दू बुरे होते हैं ना मुसलमान पर बच्ची के मन में जो बात इतनी दृढ़ता से बैठ चुकी थी वो उसके मन से नहीं निकला।<br />वह यही कहती रही हिन्दू बुरे होते हैं। उसने मुझे भी पूछ लिया आप हिन्दू हो अंकल? मैं क्या कहता उसे....?<br />आप सोचेंगे कि पहले मुसलमानों की तारीफ़ और अब यह पोष्ट... पर क्या किया जाये मैं ना तो तथाकथित सेक्युलर बन सका हुँ ना ही तोगड़िया और बाल ठाकरे की तरह कट्टर हिन्दू, ना आस्तिक हुँ ना ही नास्तिक, भगवान होते हैं या नहीं पता नहीं। तुष्टिकरण किसे कहते हैं पता नहीं।मैं अजमेर की दरगाह शरीफ़ भी जा चुका हुँ और अक्षरधाम भी। मेरे मकान मालिक आर जोशूआ साहब चुस्त ईसाई हैं और मेरी पत्नी को बेटी मानते हैं, मैने कई ईसाईयों को देखा है जो हिन्दुओं का दिया प्रसाद छूते भी नहीं पर जोशूआ साहब मेरे घर का प्रसाद भी खाते हैं।<br />मुझे कट्टरतावाद से सख्त नफ़रत है चाहे वो हिन्दू हो, मुसलमान हो या ईसाई हो। मैं मुकेश जी का यह भजन सही मानता हुँ-<br />सुर की गति मैं क्या जानूँ, एक भजन करना जानूँ ।<br />अर्थ भजन का भी अति गहरा, उसको भी मैं क्या जानूँ ॥<br />प्रभु प्रभु कहना जानुँ, नैना जल भरना जानूँ।<br />गुण गाये प्रभू न्याय ना छोड़े, फ़िर तुम क्यों गुण गाते हो।<br />मैं बोला मैं प्रेम दीवाना, इतनी बातें क्या जानूँ ॥<br />प्रभु प्रभु कहना जानुँ, नैना जल भरना जानूँ।<br /><a href="http://www.bhaktisangeet.com/bhajan/mukesh/mukesh.html">यहाँ</a> सुनें<br />अन्त में:<br />अनुनाद जी: हम ऐसा कैसे मान ही लें कि हर बम विस्फ़ोट में किसी एक ही मजहब के लोगों का हाथ होता है? क्यों कि दाऊद इब्राहीम जैसे लोगों की गैंग में हर धर्म के गुंडे है जो हर तरह का काम करते हैं, मानता हुँ कि मुसलमान अधिक कट्टर होते हैं, हिन्दू नहीं और रोना भी इसी का है कि हिन्दूओं मैं ही एकता नहीं है। जैन,ब्राह्मण, कायस्थ , और ना जाने क्या क्या, जब तक सारे लोग हिन्दू नहीं हो जाते बम विस्फ़ोट होते ही रहेंगे। हम परिचर्चा में और यहाँ बहस करते ही रहेंगे फ़िर कुछ दिनों बाद ज्यों का त्यों। फ़िर कोई बम विस्फ़ोट होगा फ़िर बहस यह कब रूकेगी उपर वाला जाने।<br />पंकज भाई: मैं फ़िर कहुंगा कि सारे इस्लामी आतंकवादी नहीं है।</div>Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1152700460852247112006-07-12T16:02:00.001+05:302006-07-12T16:27:37.226+05:30क्या हर मुसलमान बुरा होता हैपरिचर्चा में मुस्लिम आतंकवाद से शुरु हुई बात कहाँ तक पहुँच गई है, मैं भी वहाँ लिखना चाहता था परन्तु यहाँ लिखना ही ठीक लगा ।<br />कुछ मेरी भी सुनो, जैसा आप जानते हैं गोधरा दंगों और 1992 के दंगों के समय में सुरत, गुजरात में रह रहा था, दंगे के दिनों में मैने खुद मुसलमानों को मुसलमानों की दुकानें लूटते और हिन्दुओं को हिन्दुओं को नुकसान पहुँचाते देखा है।मेरे कहने का मतलब यह है कि दंगाईयों का कोई धर्म या मजहब नहीं होता।<br />हमारे मकान मालिक स्व. हैदर भाई मुस्लिम थे, दो साल हम साथ रहे, उनके मांसाहार की वजह से कई बार हमारी बहस हुई, पर आज उस बात को १५ साल बीत चुके परन्तु प्रेम में कोई कमी नहीं आई, बड़े भाई बैंगलोर रहते हैं, जब भी सूरत आते सबसे पहले शमीम मौसी के पाँव छूने जाते हैं मेरा भी यही है जब तक सूरत रहा १५ दिन में एक बार उनके घर जाना पड़ता था। शायद मेरी सगी माँ जितना प्रेम करती है, उतना ही प्रेम शमीम मौसी करती है। हर बार मिठाई, फ़ल फ़्रूट आदि जबरदस्ती देती है, अगर मना करो तो कहती है कि तेरी माँ देती तो क्या मना करता? हम कुछ कह नहीं पाते, यह लिखते समय शमीम मौसी और उनके बच्चों फ़िरोज और शबनम का प्रेम याद कर आँख से आँसू टपक पड़े है। क्या हर मुसलमान बुरा होता है और हर हिन्दू जन्मजात शरीफ़?<br />जब हैदर भाई का निधन हुआ और मैं मौसी से मिलने गया तब पता चला कि मुस्लिम समाज में पति के निधन के बाद स्त्री ४० दिन तक किसी गैर मर्द से नहीं मिल सकती पर मौसी हम से मिली और हमारा प्रेम देख कर उनके समाज के दूसरे लोग भी आश्चर्यचकित हो गये। मैं अपने दोस्तों को भी अपने साथ उनके घर गया हुँ मेरे हिन्दू दोस्त भी नहीं मान पाते कि शमीम मौसी हिन्दू नहीं है! जब कि शमीम मौसी पक्की नमाजी मुसलमान स्त्री है और बिना नागा पाँचों वक्त की नमाज अदा करती है।<br />सुरत छोड़ते समय शबनम प्रसूति पर सुसराल से आयी हुई थी, मेरे पाँव छूने लगी मैने उसे ऐसा नहीं करने दिया और १५१/- उसे दिये तो मौसी ने मना कर दिया, मैने कहा मौसी आप कौन होती है भाई बहन के बीच में पड़ने वाली ? मैं मेरी बहन को कुछ भी दँ आप नहीं रोक सकती उस वक्त का दृश्य याद कर अब और लिखने की हिम्मत नहीं रही । आँखों से आँसू बह निकले है। उस दिन मेरे साथ मेरा एक मित्र जगदीश चौधरी था वह उस दिन रो पड़ा था ।<br />यह आप सब को शायद अतिशियोक्ती लग सकती है, परन्तु यह सच है और आप मुझसे शमीम मौसी का फ़ोन नं लेकर उनसे सारी बातें पूछ सकते हैं। वो महान मुसलमान महिला इस पर भी हमारा बड़प्पन जतायेगी कि सागर और शिखर बहुत अच्छे हैं जो हम से इतना प्रेम करते हैं । धन्य हैं एसे मुसलमान परिवार जिनके ह्रूदय में हिन्दू मुसलमान नहीं बल्कि प्रेम ही प्रेम भरा है।<br />जब कभी भी दंगे होते हैं हम अक्सर मुसलमान को कोसते है परन्तु मैं नहीं मानता कि हर मुसलमान बुरा होता है। हर मुसलमान दाऊद इब्राहीम नहीं होता, उनमें से ही कोई डॉ. कलाम बनता है, हमारे सुहैब भाई भी इस का सबसे अनुकरणीय उदाहरण है जो अपने आप को मुसलमान की बजाय हिन्दुस्तानी कहलाना ज्यादा पसन्द करते हैं।Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com12tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1152519654732637372006-07-10T13:42:00.000+05:302006-07-10T13:50:54.746+05:30राजस्थानी भाषा का नारदकुछ लोगों की उत्साह वाकई गज़ब होता है। अपने टी आर पी विशेषज्ञ बाबा बेंगानी उर्फ़ संजय बेंगानी इस का उत्तम उदाहरण है। कुछ दिनों पहले गूगल पर बेंगानी बाबा से बात करते समय मैने कुछ वाक्य राजस्थानी में लिख दिये, तभी महोदय के मन में विचार आया कि क्यों ना राजस्थानी में भी चिठ्ठा लिखा जाये, हमने तो सोचा कि बाबा मजाक कर रहे हैं पर यह क्या, अगले दिन सुबह कि मेल से संदेश मिला कि मैने अपना राजस्थानी चिठ्ठा "<a href="http://marubhoomi.blogspot.com/">घणी खम्मा </a>"बना लिया है, और हमें आदेश दिया कि तुम भी अपना राजस्थानी चिठ्ठा बनाओ! भाई बाबा के आदेश का पालन करना जरूरी है नही तो एक मंतर मारेंगे कि सारी टी आर पी गायब हो जायेगी सो हमने भी अपना राजस्थानी चिठ्ठा <a href="http://rajasthali.blogspot.com/">" राजस्थली"</a>बना लिया है।<br />इस के साथ ही बाबा बेंगानी उर्फ़ संजय बेंगानी राजस्थानी भाषा के पहले और सागर दूसरे चिठ्ठा कार हो गये।<br />अब चिठ्ठा तो लिख लिया पर राजस्थानी भाषा के लिये नारद कहाँ से लायें!!<br />तो साहब अपने परम पूज्य बाबा बेंगानी ने इस का रास्ता भी निकाल लिया पहले गुजराती नारद" <a href="http://www.tarakash.com/guj">ઓટલો"</a> के बाद आपने राजस्थानी भाषा के नारद "<a href="http://www.tarakash.com/raj/">राजस्थान तरकश </a>" भी बना लिया है। इतना ही नहीं बाबा बेंगानी अब राजस्थानी भाषा का शब्दकोष भी बना रहे हैं।<br />ध्यान रहे कि बाबा बेंगानी का नामकरण हमने किया है यह हमारा कॉपीराईट है सो इस शब्द को उपयोग में लेने से पहले शुल्क के रूप में हमें धन्यवाद देना जरूरी है वरना हम बाबा से कह कर ऐसा <a href="http://www.tarakash.com/joglikhi/?p=53">टोटका करेंगे/ करवायेंगे </a> कि आपके चिठ्ठे पर कोई टिप्प्णी भी नहीं करेगा।<br /><span style="color:#ff0000;">राजस्थानी भाषा के शब्दकोष में सभी राजस्थानी भाषा के जानकार भाई बहनों का सहयोग अपेक्षित है, आप सब संजय भाई को या मुझे मेल लिख कर सहयोग कर सकते हैं, धन्यवाद। </span>Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1152352938582149822006-07-08T15:14:00.000+05:302006-07-08T16:43:42.756+05:30अपने चिठ्ठे का टी आर पी कैसे बढ़ायें?<p><br />आज निधि जी के <a href="http://abhivyakta.wordpress.com/2006/07/07/testing/">चिठ्ठे चिन्तन </a>पर टी आर पी बढ़ाने संबधित लेख पढ़ा। चुँकि निधि जी चिठ्ठाकारी के क्षेत्र में नयी हैं ( अब हम कौन हड़्ड़पा और मोहन जोदड़ो के जमाने के है) परन्तु उनके इस लेख ने कई पुराने चिठ्ठाकरों के लेखन की गुणवत्ता को चुनौती दे दी है। </p><p>अब आते हैं मूल विषय पर कि अपने ब्लॉग की टी आर पी कैसे बढ़ायें?<br />तो पेश है जनाब कुछ नुस्खे </p><p>हर एक चिठ्ठे पर जाकर टिप्पणी दें कुछ समीर जी और सागर चन्द की तरह । टिप्पणी कैसे दें यहाँ सीख सकते हैं। वैसे खुछ खास नहीं करना है <a href="http://udantashtari.blogspot.com/2006/05/blog-post_04.html">समीर जी के लेख </a>की टिप्पणीयाँ सेव कर लें बाद में बस copy, pest ही करते रहें। </p><p>किसी के चिठ्ठेपर टिप्पणी करें तब अपने चिठ्ठे का लिन्क देना ना भूलें।</p><p>परिचर्चा के ज्वलन्त मुद्दे वाले थ्रेड में जाकर किसी विषय पर सारी टिप्पणियों के विपरित टिप्पणी दें, वहाँ भी अपने हस्ताक्षर के साथ अपने चिठ्ठे का लिन्क अवश्य दें।</p><p>व्यंगात्मक टिप्पणी दो लोग बदला लेने आपके चिठ्ठे पर जरूर आयेंगे।</p><p>आमिर खान, नरेन्द्र मोदी और नर्मदा जैसे विषयों पर लेख लिखो, जिसमे नरेन्द्र मोदी, भाजपा, नर्मदा का फ़ेवर हो और महेश भट्ट, शबाना आज़मी, आमिर खान, तिस्ता सेतलवाड आदि का विरोध ।</p><p>अपने धर्म के बारे में अनर्गल लिखो।</p><p>टाईटल एक दम कुछ हटके रखो जैसे <a href="http://sagarnahar.blogspot.com/2006/06/blog-post_115164775160327192.html">अलविदा चिठ्ठा जगत </a>, अपने चिठ्ठे का टी आर पी कैसे बढ़ायें? और <a href="http://udantashtari.blogspot.com/2006/05/blog-post_04.html">अपना ब्लाग बेचो</a>, भाई एवं <a href="http://abhivyakta.wordpress.com/2006/07/07/testing/">आप सब बुद्धिजीवियों से ये उम्मीद ना थी</a>! आदि........<a href="http://www.jitu.info/merapanna/?p=463">पाठकों को कैसे पकायें? </a>जैसा टाईटल कभी ना रखें।</p><p>समय समय पर लोगों को अपना स्टार्ट काऊंटर का अंक बताते रहो कि अब मेरे १००० हिट पूरे हुए अब मेरे १००१ हिट पूरे हुए। कुछ<a href="http://sagarnahar.blogspot.com/2006/05/blog-post_15.html"> इस</a> तरह।</p><p>कुछ पहेली शहेली भी कभी कभार अपने चिठ्ठे पर लिख दो, जिसका हल आपको भी ना आता हो। </p><p>एन आर आई पर उनके देश प्रेम के प्रति संदेह व्यक्त करते हुए लेख लिखो। भले ही वह झूठ ही क्यों ना हो।</p><p>कुछ बेतुकी रोमान्टिक कविता लिखो ( आईडिया सौजन्य: ई-स्वामी जी)</p><p>समय समय पर सन्यास लेने की धमकी देते रहो, वीरू प्राजी की तरह टंकी पर चढ़ कर ! और हाँ सागर की तरह भी,लोग बाग मौसी जी की तरह डर कर आपको मनाने जरूर आयेंगे । यह सब से कारगार नुस्खा है अपने चिठ्ठे का टी आर पी बढ़ाने का। </p><p>मुफ़्त के जुगाड़ ढूंढ कर अपने चिठ्ठे पर उनका लिन्क दो।</p><p>कुछ नई खोज और नयी वैज्ञानिक क्रान्ति के बारे में लिखो। </p><p>अपने चिठ्ठे पर लेख लिख कर पुराने चिठ्ठा लेखकों से बेवजह पंगा लेते रहो ।</p><p>अंत में<a href="http://www.ezinearticles.com/?16-Ways-to-Drive-Traffic-to-Your-Blog&id=22928"> यहाँ </a>और बहुत सारे आईडिया है सारे क्या मैं ही बताऊंगा क्या आप कुछ नही करोगे । सौजन्य <a href="http://www.jitu.info/merapanna/?p=429">मेरा पन्ना</a></p>Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1152271885474153512006-07-07T16:46:00.000+05:302006-07-07T17:25:48.350+05:30चुट्कुले-1 ( अनूगूँज )<a href="http://www.blogger.com/"><img alt="Akshargram Anugunj" hspace="5" src="http://akshargram.com/images/anugunj.jpg" align="right" vspace="5" border="0" /></a><br />एक बार संजय भाई की दुर्घटना वश एक पाँव की हड्डी टूट गई, अस्पताल में पास के बिस्तर पर सागर चन्द लेटे थे जिनकी दोनो पाँव की हड्डी टूटी हुई थी,<br />संजय भाई से रहा नहीं गया सागर से पूछ बैठे " आप की दो पत्नियाँ है क्या?<br /><div align="center">******</div><div align="left"><br />एक आदमी कार का दरवाजा खोल कर दौड़ कर एक मेडिकल स्टोर में गया और उसने कहा जल्दी से हिचकी बन्द करने की दवा दो"<br />दुकानदार काऊँटर कूद कर बाहर आया और उस आदमी को एक कस कर थप्पड़ मार दिया और बोला अब आप की हिचकी बन्द हो गई होगी ?<br />उस बेचारे ने कहा कि आप भी दवा किसी को भी दे देते हो हिचकी मुझे नहीं गाड़ी में बैठी मेरी पत्नी को हो रही है।</div><div align="center">******</div><div align="left"><br />होमियोपेथ डॉक्टर ने एक महिला को दवा देते हुए कहा ये तीन पुड़िया दवा दे रहा हुं रात को सोते समय लेना है।<br />महिला ने कहा डॉक्टर साहब इस बार जरा पतले कागज में बाँधना पिछली बार पुड़िया निगलने में बड़ी तकलीफ़ पड़ी थी।</div><div align="center">******</div><div align="left"><br />एक मालिक ने अपने क्लर्क से पूछा आप मृत्यु के बाद जीवन में विश्वास करते हो?<br />क्लर्क ने कहा जी हाँ साहब!<br />बहुत अच्छी बात है तो हुआ युँ कि तुम्हारे जिन दादा की अन्तिम क्रिया में जाने की बात कह कर तुम दो दिन की छुट्टी लेकर गये थे; तुम्हारे दादा तुम्हारे जाने के बाद तुमसे मिलने यहाँ आये थे ।</div><div align="center">******</div><div align="left">एक गरीब आदमी ने रात को सोते समय अपने भूखे बच्चों को कहा आज रात जो बिना खाना खाये सो जायेगा उसे पाँच रुपये का इनाम मिलेगा।<br />बेचारे बच्चे पाँच पाँच रुपये ले कर सो गये,<br />अगली सुबह उसने फ़िर बच्चों से कहा आज खाना उसे मिलेगा जो मुझे पाँच रुपये देगा।</div><div align="center">******</div><div align="left"><br />एक व्यक्ति अपने मित्र से कह रहा था वाकई मुझे पता चल गया है कि पूरे भारत में एकता और अखंडता है।"<br />दूसरे ने पूछा कैसे पता चला?<br />उसने कहा मैं जब दिल्ली गया तब वहाँ के लोग मुझे देखकर हंसते थे, मुंबई गया तब भी,कोलकाता और चेन्नई गया तब भी।</div><div align="center">******</div><div align="left"><br />टैगः <a href="http://technorati.com/tag/anugunj" rel="tag">anugunj</a>, <a href="http://technorati.com/tag/अनुगूँज" rel="tag">अनुगूँज</a></div><div align="left"></div><div align="center"></div>Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1152010348248909232006-07-04T15:48:00.000+05:302006-07-05T14:14:19.980+05:30मैं तो मजाक कर रहा था.<div align="center"><span style="color:#ff0000;">शीर्षक सौजन्य: विजय वडनेरे</span> </div><div align="justify">साथियों आप सब के असीम प्रेम और अनुरोध को ठुकरा पाने का साहस मुझमें नहीं इस लिये सन्यास लेना कैन्सिल (बकौल ईस्वामीजी) " वीरू प्राजी" वाली ईश्टाईल में मैं टंकी से नीचे से नीचे उतर रहा हुं।</div><div align="justify">यह तो मजाक हुआ, खैर इस सारे प्रकरण में मुझे कई लोगों ने अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करने को कहा और हिम्मत दी उन सब को अन्त:करण से धन्यवाद देता हुँ। टिप्पणी के अलावा भी कई लोगो ने ईमेल के जरिये मुझे समझाया उन सबका भी हार्दिक धन्यवाद।</div><div align="justify"></div><div align="justify"></div>Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com20tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1151647751603271922006-06-30T11:35:00.001+05:302006-06-30T11:39:11.603+05:30अलविदा चिठ्ठा जगतआदरणीय अतुल भाई एवं ईस्वामीजी<br />मेरी पोस्ट को एक बार फ़िर से पढ़िये और बताईय़े कि मैने कहाँ आप लोगों पर व्यक्तिगत कुछ लिखा है या कहाँ आप लोगों को देशद्रोही साबित करने की कोशिश की है? मैने उस सारे समूह के लिये लिखा है जो अक्सर अमरीका या किसी विदेश से तुलना करते समय इतने तल्ख हो जाते है कि कई बार उनका स्वर भारत के प्रति उपहास पूर्ण हो जाता है, विषय यह था कि अमरीकी समाज कैसा है न कि भारत में क्या बुराईयाँ है। ये ना भूलें कि भारत को आजाद हुए कितने वर्ष हुए है और इन सालों में भारत ने जितनी तरक्की करी है शायद किसी देश ने नहीं की होगी, अब रही बात भ्रष्टाचार या अपराध की तो मैं यह कहूँगा कि कूड़ा करकट हर गाँव में होता है। अब भारत जैसा भी है अपना ही है।<br />जिस तरह आप सबने अपनी राय रखी मैने भी रखी इसमें इतना बुरा मानने की कतई जरूरत नहीं थी, फ़िर भी आप की भावनायें आहत होती हो तो क्षमा याचना।<br />संजय भाई<br />सलाह के लिये धन्यवाद, किसी की भावनाओं का इतना भी मजाक ना उड़ायें कि उसे यह लगने लगे कि चिठ्ठा लिखना ही व्यर्थ है, देश के प्रति मेरा जो प्रेम है उसके लिये ध्वज लगाने का दिखावा करने की कोई जरूरत नहीं होती, दिखावा वे करते होंगे जिनके पास कुछ होता नहीं।<br />मुझे अक्सर कहा जाता है कि भावनाओं मैं ना बहुँ पर भावनाओं में मैं नही बहा आप सब बहे हैं।<br />एक कम पढ़ा लिखा व्यक्ति आप लोगों की तरह बातों को अच्छे शब्दों में नहीं ढ़ाल सकता, और शायद इसिलिये में अपने आप को चिठ्ठा लिखने के योग्य नहीं समझता और इस अपने अन्तिम चिठ्ठे के साथ आप सब से विदा लेता हुँ, आज के बाद आपको कहीं भी मेरे बेहुदा चिठ्ठे और बचकानी टिप्पणियाँ (परिचर्चा पर भी) पढ़ने को नहीं मिलेंगी।<br />मेरे शब्दों से आप लोगों को जो तकलीफ़ हुई उन सबसे मैं एक बार और क्षमा याचना करता हुँ । और आप लोगों ने अब तक जो प्रेम दिया उसके लिये धन्यवाद देता हुं।Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com30tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1151587224202254062006-06-29T18:42:00.000+05:302006-06-29T18:50:24.226+05:30अमरीका अमरीकाचाहे हजार तकलीफ़ें हो, अमरीका से हजार गुने अपराध होते हों पर फ़िर भी भारत सबसे महान है। पैसों की चमक दमक भले ही अमरीका सी ना हो पर यहाँ जो प्रेम है वह कहीं नहीं है।<br />हम में से शायद बहुत कम लोगों ने एक दूसरे को आमने सामने से देखा होगा पर यह प्रेम नहीं है तो क्या है कि सागर चन्द जब जीतू भाई से नहीं मिल पाता तो उसे इस तरह का दुख होता है मानों अपने सगे बड़े भाई से नहीं मिल पाया हो, और जीतू भाई अगले दिन फ़ोन कर ना मिल पाने के लिये अफ़सोस प्रकट करते हैं।<br />यह प्रेम नहीं तो क्या है कि सागर की एक फ़रमाईश पर आदरणीय अनूप जी( फ़ुरसतिया जी) <a href="http://hindini.com/fursatiya/?p=142">10 पेज की फ़िराक गोरखपुरी</a> की कविता टाईप कर पढ़वा देते हैं। दूसरे ही दिन फ़िर <a href="http://hindini.com/fursatiya/?p=143">गुलजार साहब की रचना </a>पढ़वाते है।<br />यह भारत के ही लोग है जो अपने देश की आलोचना सुन कर भी खामोशी से पढ़ रहे हैं वरना यह जापान या कोई ओर देश होता तो अपने देश के बारे में बुरा कहने वालों के साथ क्या सूलूक करता यह आप सब बेहतर जानते होंगे।<br />भाई लोग तुलना करना बन्द करो, होगा अमरीका श्रेष्ठ; भारत किसी से, कहीं भी कम नहीं है।Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1151585046283699152006-06-29T17:54:00.000+05:302006-06-29T18:14:06.300+05:30ये हमारे पथ प्रदर्शक ?<div align="justify"><br />धर्म प्रचारकों पर <a href="http://http://www.tarakash.com/mantavya/2006/06/blog-post_27.html">मास्साब के विचार </a>जान कर प्रसन्नता हुई, मैं भी कुछ कहना चाहता हुँ, सबसे पहले यह कहना चाहूंगा कि मुझे यह लिखने से इन का भक्त ना समझा जाये क्यों कि मैं पहले ही इन दोनो साधुओं के बारे में <a href="http://sagarnahar.blogspot.com/2006/04/blog-post_10.html#links">यहाँ </a>लिख चुका हुँ।<br />सबसे पहले <span style="color:#ff0000;">आईना जी ने लिखा "ओशो राम देव से लेकर श्री श्री रविशंकर सब की नजर अमीरों पर ही होती है। और सुनील जी ने लिखा श्री श्री रविशंकर का नाम बहुत सुना था, उनका बीबीसी की एशियन सर्विस पर लम्बा साक्षात्कार सुना, तो थोड़ी निराशा हुई उनके उत्तर सुन कर. उनका कहना कि उन्होने सुदर्शन क्रिया का पैटेंट इसलिए बनाया ताकि सारा पैसा उनकी फाऊँडेशन का अपना बने तथा उसका अन्य लोग पैसा न कमा सकें, सुन कर लगा मानो किसी व्यापारी की बात हो, न कि कि महात्मा या गुरु की!<br /></span>इस बारे में कहना चाहता हुँ कि श्री श्री रविशंकर अगर सुदर्शन क्रिया या उनके अन्य कार्यक्रम सिखाने का अगर पैसा लेते है तो इसमे कुछ बुरा नहीं करते, क्यों कि यह पैसा श्री श्री की जेब में नहीं जाता, उन पैसों से कई समाज उपयोगी कार्य होते है, इस बारें में अधिक जानकारी के लिये त्सुनामी और भूकंप के बाद के समाचार पत्रों को एक बार फ़िर से पढ़ लें, और सुदर्शन क्रिया जिन लोगों ने नहीं की वे इस बारें कुछ नहीं कह सकते, अपने अनुभव नहीं बता सकते।मैने की है मै मानता हुं कि इस क्रिया के लिये 500/- की बजाय 5000/- भी अगर मांगे तो दिये जाने में कोई हर्ज नहीं है। और वैसे भी मुफ़्त की चीज हमें हज़म जरा मुश्किल से होती है, हम शुल्क देते है तो उस के प्रति गंभीर होते हैं, और कुछ अवचेतन मन से ही पर अपना पूरा पैसा वसूल करते हैं। यही क्रियाएं अगर मुफ़्त में मिलने लगेंगी तो कोई भी इसके प्रति गंभीर नहीं होगा।<br />और रही बात अमीरों पर नजर होने की तो मैं कहना चाहता हुँ कि स्वामी रामदेव इस बात को स्वीकारते हुए कहते हैं हैं कि उन के शिविरों का सारा पैसा इन अमीरों की जेब से आता है, मैने कहीं पढा़ था कि जो लोग अच्छे लेखक नहीं सकते वे अच्छे आलोचक बन जाते हैं जैसा ही कुछ यह है ।<br />कुछ इसी तरह कि हमें ब्लॉगर पर मुफ़्त लिखने को मिलता है तो कुछ भी <a href="http://www.sagarnahar.blogspot.com">अंट शंट </a>लिख देते हैं, यही हमें इस के पैसे देने पडे़ तो हम भी रह अच्छा लिखना शुरु कर देंगे और अपनी कीमत वसूल करने की कोशिश करेंगे।<br />यही बात स्वामी रामदेव पर लागू होती है। उन्होनें कभी धर्म का प्रचार नहीं किया, कभी शिष्य नहीं बनाये, वे अगर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के शीतल पेयों को पीने के खिलाफ़ बात करते हैं तो क्या गलत करते हैं। भारत सरकार के स्वास्थय मंत्री डॉ अम्बुमणि रामदास खुद स्वीकार कर चुके है कि इन पेयों में कीटनाशक होते हैं और श्रीमती सुनीता नारायण की वैज्ञानिक टीम तो साबित भी कर चुकी है।<br />सुरत शिविर में मैने अपनी पत्नी के साथ भाग लिया और पाया है कि स्वामी रामदेव के बताये प्राणायामों से शरीर पर लाभ होता है, यह मैं खाली पढी़ सुनी बातों पर विश्वास कर नहीं लिख रहा,<br />ना ही यह कोई सम्मोहित हुं, स्वयं अनुभव कर लिख रह हुँ, मेरी पत्नी का वजन तो 5 kg कम हुआ ही साथ में और भी कई शारीरिक लाभ हुए।<br />रवि कामदार जी को पता नहीं एक दो फ़ुट की दाढी़ वाले संत में स्त्री कहाँ नज़र आयी ये समझ में नहीं आता, अहमदाबाद तो में देख चुका हुँ , वहाँ तो महिलाओं के दाढी़ नहीं होती फ़िर पता नहीं वे कहाँ देख आये। पंकज भाई होती है क्या ? और करण जौहर कब दाढी रखते थे ये रवि जी को ज्यादा पता होगा।क्या उन की आवाज पतली है इस वजह से आप एसा कह रहे हईं तो मत भूलिये कोई हमारा प्रिय पात्र भी किसी शारीरिक कमी या अपाहिजता का शिकार हो सकता है तब क्या हम उनके लिये भी यही शब्द प्रयोग करेंगे?<br />रवि जी माना कि वे अमीरों के गुरू हैं, पर मैं मासिक मात्र 4000/- कमाता हुँ पर उन के ध्यान और क्रियाओं को पसन्द करता हुँ। और किसने कहा कि श्री श्री गाँवों में नहीं जाते? त्सुनामी से हुए नुकसान के बाद उन्होनें कई बार गाँवों का दौरा किया है।<br />टिप्पणी करना बहुत आसान है कुछ लोगों को बुद्धिजीवी होने का भ्रम हो गया है श्री श्री के लिये कहते <span style="color:#ff0000;">हैं खेर इनको हम प्रसिध्धि के भूखे इस लिये कह सकते है क्योकि यह भी अपने आगे श्री श्री लगवाते है!! और अपने भक्तों को श्री श्री कहने से रोकते भी नहीं</span> <strong>वे ही अपने आप को तत्वज्ञानी की ही उपाधी दे रहे है, पता नहीं ये कैसा तत्व ज्ञान है।</strong> हमने तो एसा तत्व ज्ञान कहीं नहीं देखा किसी ने देखा हो तो बताओ भाई लोग।<br />मैं आसाराम जी बापू, नीरू माँ, पान्डूरंग शाष्त्री या कोई अन्य धार्मिक प्रचारक की बात नही करता क्यों कि दोष उनका नहीं कुछ हमारा भी है जो हम इन लोगों को सर माथे चढ़ाते हैं और बाद में जब छले जाते हैं तो रोना रोते हैं।<br /><br />यह सब लिखने से मुझे इन का भक्त नहीं समझा जाये क्यों कि मैं पहले ही कह चुका हुँ कि मैं इन का भक्त नहीं हुँ, और इस के अगले अंक में इन लोगों की खिंचाई भी होगी। ये लोग चाहे जैसे हो हमसे से तो श्रेष्ठ है<br /><br /><br /><a href="http://www.blogger.com/delete-comment.g?blogID=20762201&postID=115141569559524979"></a><br /> </div>Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1150551963441749252006-06-17T18:42:00.000+05:302006-06-17T19:16:03.456+05:30अमूल विज्ञापन<span style="color:#ff0000;"><span style="font-family:verdana;">आखिर मास्साब ने विज्ञापनों का चस्का लगा ही दिया।</span></span><br /><span style="color:#ff0000;"><span style="font-family:verdana;">विज्ञापन बनाने में </span><a href="http://www.amul.com"><span style="font-family:verdana;">अमूल</span></a><span style="font-family:verdana;"> का जवाब नहीं! किसी भी विषय (Current affair) पर विज्ञापन बनाने में माहिर अमूल के विज्ञापनों में ने हास्य का पुट अधिक होता है ही साथ में सामाजिक चेतना भी होती है ; कुछ विज्ञापन देखिये </span></span><br /><div align="center"><span style="font-family:verdana;color:#ff0000;"><br />फ़िल्म: फ़ना<br /></span></div><a href="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/1600/amul9.jpg"><span style="font-family:verdana;color:#ff0000;"><img style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/320/amul9.jpg" border="0" /></span><p align="center"></a><span style="font-family:verdana;color:#ff0000;">नर्मदा और आमिर<br /></span></p><a href="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/1600/amul4.jpg"><span style="font-family:verdana;color:#ff0000;"><img style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/320/amul4.jpg" border="0" /></span><p align="center"></a><span style="font-family:verdana;color:#ff0000;">दा विन्ची कोड<br /></span></p><a href="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/1600/amul8.jpg"><span style="font-family:verdana;color:#ff0000;"><img style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/320/amul8.jpg" border="0" /></span><p align="center"></a><span style="font-family:verdana;color:#ff0000;">आरक्षण <br /></span></p><a href="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/1600/amul3.jpg"><span style="font-family:verdana;color:#ff0000;"><img style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/320/amul3.jpg" border="0" /></span><p align="center"></a><span style="font-family:verdana;color:#ff0000;"> फ़ैशन वीक<br /></span></p><a href="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/1600/amul1.jpg"><span style="font-family:verdana;color:#ff0000;"><img style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/320/amul1.jpg" border="0" /></span><p align="center"></a><span style="font-family:verdana;color:#ff0000;"> च...च...च बेचारा सौरव<br /></span></p><span style="font-family:verdana;color:#ff0000;"><img style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/320/Saurav.jpg" border="0" /></span><p align="center"><span style="font-family:verdana;color:#ff0000;">मंगल पान्डे </span></p><p><span style="font-family:verdana;color:#ff0000;"><img style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/320/Mangal%20Pande.jpg" border="0" /></span></p><p><span style="font-family:verdana;color:#ff0000;">इस श्रेणी में और भी कई विज्ञापन है जो अगले अंकों में प्रकाशित होंगे </span></p><p><span style="font-family:verdana;color:#ff0000;">सौजन्य: अमूल </span></p>Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1150290466293601202006-06-14T18:19:00.000+05:302006-06-14T18:37:46.306+05:30कुछ निन्दनीय पंक्तियाँ माँ के लिए<div align="justify"><br /> माँ की शान में हजारों शब्द लिखे जा चुके हैं, हिन्दी चिठ्ठा जगत में भी अक्सर माँ पर कुछ ना कुछ लिखा जाता रहा है, अब कल ही अपने श्री अनूप शुक्ला जी ने अपने चिठ्ठे "<a href="http://hindini.com/fursatiya/?p=143">फ़ुरसतिया"</a> पर स्व. फ़िराक गोरखपुरी जी की कविता माँ प्रकाशित की, परन्तु क्या माँ की निन्दा की जा सकती है?<br /> खासी भाषा के कवि किन फाम सिं नौगकिनरिह की एक कविता <a href="http://www.kritya.in/06/hn/poetry_at_our_time1.html">कुछ निन्दनीय पंक्तियाँ माँ के लिए </a>की कड़ी यहाँ दे रहा हुँ मर्यादा की दृष्टि से कविता यहाँ प्रकाशित नही कर पा रहा हुँ और उसका लिंक दे रहा हुँ कविता के कुछ शब्द आघात जनक है, परन्तु कवि बहुत सहजता से अपने शब्दों को कह जाते हैं<br /> </div>Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1150033945095249892006-06-11T19:14:00.000+05:302006-06-11T21:46:31.643+05:30हैदराबाद ब्लॉगर मीट : जो हो ना सकी<div align="justify"><br />कुछ दिनों पहले जीतू भाई से गूगल टाक पर बात हुई तब उन्होने बताया कि वे दिनांक १०-०६-२००६ को नागपुर से बंगलोर जायेंगे हैदराबाद उस रास्ते में ही आता है और गाड़ी लगभग १५ मिनीट सिकन्दराबाद स्टेशन पर रुकेगी।</div><div align="justify">मैं यह जान कर बड़ा प्रसन्न हुआ कि चलो जीतू भाई से मिलना होगा, यह बात श्री नितिन बागला जी को भी बताई तो वे भी बड़े खुश हुए। जीतू भाई ने मुझसे पूछा कि मैं आपको अपना कोच नं कैसे दुंगा, क्यों कि उनका टिकिट कन्फ़र्म नही हुआ था और वेटिंग लिस्ट भी कोई खास नहीं थी ५/६ वेटिंग थी सो कन्फ़र्म होना लगभग तय था, तब मैने उनसे उनके टिकिट का पी.एन.आर. नं. ले लिया और उस दिन से दिन में तीन बार चेक कर रहा था कि टिकिट कन्फ़र्म हो और कब कोच नं. पता कर जीतू भाई से मिला जाये !!!<br />पर हम जो सब सोचते है वो कब होता है दिनांक ७--६-०६ को नितिन जी से बात हुई तो उन्होने बताया कि उनके नानाजी का देहांत हो गया है सो वे ९ को राजस्थान अपने गाँव जाने वाले हैं और जीतू भाई से मिलने नहीं आ पायेंगे। खैर.... दिनांक १०.०६ को सुबह जब भारतीय रेल्वे की साईट पर पी एन आर नं डाला तो वहाँ लिखा था Can/mod यानि कि केन्सल या मोडिफ़ाईड। अब क्या किया जाय़ यह भी पता नहीं पड़ रहा था कि जीतू भाई आने वाले हैं या नहीं। <a href="http://www.tarakash.com/media/2006/06/x-rated-ads.html">पंकज भाई उर्फ़ मास्साब </a>से पूछा कि उनके पास क्या उनका टेलिफ़ोन नं. है तो पता चला कि नहीं। अब कोई रास्ता नहीं था सम्पर्क करने का तो मैने सोचा कि रेल्वे स्टेशन ही चलते हैं। १५ मिनिट में तो आराम से ढुँढ लिया जा सकता है।<br />तो साहब में ६.४५ पर रेल्वे स्टेशन पर पहुँचा तो पता चला कि गाडी़ अपने सही समय यानि ७.०० बजे आयेगी, आखिर गाडी़ अपने सही समय यानि ७.२० पर स्टेशन पर आई!!!! </div><div align="justify">भारतीय़ रेल्वे जिन्दाबाद!! लालू यादव जिन्दाबाद!!! </div><div align="justify">अगर ट्रेन २०मिनीट भी लेट हो तो भी उसे सही समय कहा जाता है, ट्रेन भी कौनसी राजधानी एक्सप्रेस जो भारत की सबसे तेज गाड़ियों में गिनी जाती है।<br />खैर साहब ट्रेन पूरी छान मारी तीन चक्कर आगे से पीछे लगा लिये, तभी एक सज्जन कुछ सिन्धी महिलाओं से सिन्धी में बातें करते दिखे, शकल सूरत से बिल्कुल अपने जीतू भाई!! </div><div align="justify">मैं खुश होकर उनकी और लपका और उनसे पूछा </div><div align="justify">"आपका नाम जीतू भाई है? </div><div align="justify">उन्होने कहा "हाँ, पर आप कौन?</div><div align="justify">मैने कहा मैं सागर चन्द नाहर। </div><div align="justify">उन्होने कहा मैने आपको पहचाना नहीं!!</div><div align="justify">मैं एकदम चौंक गया जीतू भाई मुझे शक्ल से नहीं पर नाम से भी नही पहचाने ये तो हो नहीं सकता! मैने पूछा </div><div align="justify">आप कुवैत से आयें हैं? </div><div align="justify">उन्होने कहा "नही"</div><div align="justify">तब मुझे लगा कि यह तो अच्छी मजाक हो गयी जिन्हें मैं जीतू भाई समझ बैठा था सयोंग से उनका नाम भी जितेन्द्र था और थे भी सिन्धी।<br />आखिर आप के सागर चन्द उदास थके और कदमों से वापस घर आ गये ।<br /><strong><span style="color:#ff0000;">पुनश्चय:</span></strong> यह प्रविष्टी टाईप कर पोस्ट करते समय मेरे जिजाजी (जिनका सुपर स्टोर मेरे घर के सामने है और मैने फ़ोन नं उन्ही का दिया था) ने एक संदेश दिया कि जब मै खाना खाने रेस्टोरेंट गया था ( पत्नी और बच्चे छुट्टियाँ मनाने गये हैं) तब कुवैत वाले जीतू भाई का फ़ोन आया था कि वे हैदराबाद नहीं आ पा रहे है और नागपुर से सीधे ही बेंगलोर जायेंगे। </div><div align="justify">जीतू भाई अगर पढ रहे हों तो उनसे अनुरोध है कि खेद व्यक्त ना करें क्यों कि इसमें आपका कोई दोष नही है।</div><div align="justify">संभव हो सके तो वापसी के समय इधर जरूर आयें।</div>Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1148397743606970822006-05-23T20:47:00.000+05:302006-05-23T20:52:23.626+05:30क्या आपको जीवन के अभावों से शिकायत है?<ul><li>अगर आपको अपने जीवन के अभावों से शिकायत हो तो एक बार<a href="http://sonic200.com/others/tuongphan.htm"> यहाँ</a> देखिये, और कहिये क्या अब भी आपको शिकायत है?</li><li>एक नज़र <a href="http://dingo.care-mail.com/cards/flash/5409/abc.swf">यहाँ</a> भी डालें</li></ul>Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1147860595849970142006-05-17T15:26:00.000+05:302006-05-17T17:04:41.936+05:30यह तो कमाल हो गयाआज वेब दुनिया पर एक समाचार पढ़ कर आश्चर्य हुआ कि वियतनामी प्रधान मंत्री "फ़ान वान खाई" लगातार (मात्र) १० वर्षों तक प्रधान मंत्री रहने के बाद सेवा निवृत होना चाहते हैं। निवृत होने के लिये जो वजह उन्होने बताई है वह वजह सुन कर और भी आश्चर्य होता है कि वे अब नयी पीढ़ी के लोगों को मौका देना चाहते हैं।<br /><br />इस जगह हमारे देश में यह घटना हुई होती तो त्याग के नाम पर और उनके चमचे चीख चीख कर देश को सर उठा लेते तथा समारोह कर करोड़ों रुपये खर्च दिये जाते<br /><br />श्री खाई अभी मात्र ७३ वर्ष के है जो भारतीय राजनीती के हिसाब से काफ़ी युवा हैं। कहाँ हमारे बुढ्ढे नेता जिनके पाँव कब्र में लटके रहते हैं फ़िर भी नेतागिरी या पद का मोह नही छोड़ पाते।<br /><br />विश्वास नहीं होता;<br /><br />डेक्कन क्रानिकल, हैदराबाद १६-०५-२००६<br /><br />में छपी यह तस्वीर देख लें।<br /><br /><br /><img style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/400/Buddha.jpg" border="0" />Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1147706134482647172006-05-15T19:45:00.000+05:302006-05-15T20:45:35.506+05:30चिठ्ठाकार मित्रों को धन्यवाद<div align="justify">विश्वास नहीं होता ये मैने किया है, परन्तु आप सभी चिठ्ठाकार भाई बहनों के बिना यह कहाँ संभव था कि एक अल्प शिक्षित हिन्दुस्तानी जिसे अंग्रेज़ी भी ढ़ंग से पढ़ना नही आती, जिसे कई बार हिन्दी में भी दिक्कतें आती हो, सोफ़्टवेर के मामले में भी शून्य बटा शून्य हो उसके चिठ्ठे पर मित्रों ने मात्र 2 महीने में एक हजार से ज्यादा बार मुलाकात ली, टिप्पणी और सुझाव दिये।</div><div align="justify"> </div><div align="justify">आज मेरे चिठ्ठे का मीटर 983 का अंक बता रहा है, जब मार्च में <a href="http://sagarnahar.blogspot.com/2006/03/blog-post.html#links">(12 मार्च</a>)मैने लिखना शुरू किया तब थीम और डिजाईन वगैरह बदलने के समय एक दो बार मीटर शुन्य हो गया था, पहले पहले कई परेशानियाँ हुई बाद में जीतू भाई साहब (<a href="http://www.jitu.info/merapanna/">मेरा पन्ना), </a>पंकज जी (<a href="http://www.tarakash.com/mantavya/">मंतव्य) </a>आदि मित्रों और वरिष्ठ चिठ्ठाकारों का सहयोग मिलता गया और राह थोड़ी आसान होती गयी.</div><div align="justify"> </div><div align="justify">कई बार मुझे इस बात का दुख होता है कि में अन्तर्जाल के व्यव्साय में होते हुए भी एक वर्ष तक हिन्दी चिठ्ठा जगत से अपरिचित रहा क्यों कि पिछले वर्ष फ़रवरी 2005 में मैने साईबर कॉफ़े चालु किया और फ़रवरी 2006 में पहली बार हिन्दी चिठ्ठा पढ़ा। खैर देर आये दुरस्त आये।</div><div align="justify"> </div><div align="justify">एक बार फ़िर में आप सभी को धन्यवाद अदा करता हुँ और आशा करता हुँ कि भविष्य में आप का इसी तरह सहयोग मिलता रहेगा।<br /> </div>Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com14tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1147609696421192362006-05-14T17:40:00.000+05:302006-05-14T17:58:16.446+05:30अम्मा एक कथा गीत<div align="justify"><a href="http://pratyaksha.blogspot.com/">छतियाने</a> पर आपने चिठ्ठाकारों की कई कवितायें और <a href="http://www.jitu.info/merapanna/?p=535">संस्मरण </a>पढ़े आज पढ़िये, हैदराबाद के सुप्रसिद्ध और मेरे प्रिय दैनिक <a href="http://www.hindimilap.com">हिन्दी मिलाप </a>में दिनांक 14-05-2006 को प्रकाशित मातृत्व दिवस पर <span style="color:#ff0000;">सुधांशु उपाध्याय</span> की सुन्दर कविता :</div><div align="center"><span style="font-size:130%;">"अम्मा "</span></div><div align="center">(एक कथा गीत )<br />थोड़ी थोड़ी सी धूप निकलती थोड़ी बदली छाई है</div><div align="center">बहुत दिनों पर आज अचानक अम्मा छत पर आई है!</div><div align="center">शॉल सरक कर कांधों से उजले पावों तक आया है</div><div align="center">यादों के आकाश का टुकड़ा फ़टी दरी पर छाया है</div><div align="center">पहले उसको फ़ुर्सत कब थी छत के उपर आने की</div><div align="center">उसकी पहली चिंता थी घर को जोड़ बनाने की </div><div align="center">बहुत दिनों पर धूप का दर्पण देख रही परछाई है</div><div align="center">बहुत दिनों पर आज अचानक अम्मा छत पर आई है!</div><div align="center"><br /> </div><div align="center">सिकुड़ी सिमटी उस लड़की को दुनियां की काली कथा मिली</div><div align="center"> पापा के हिस्से का कर्ज़ मिला सबके हिस्से की व्यथा मिली </div><div align="center">बिखरे घर को जोड़ रही थी काल-चक्र को मोड़ रही थी</div><div align="center">लालटेन सी जलती बुझती गहन अंधेरे तोड़ रही थी </div><div align="center">सन्नाटे में गुंज रही वह धीमी शहनाई है!</div><div align="center">बहुत दिनों पर आज अचानक अम्मा छत पर आई है!</div><div align="center"><br />दूर गांव से आई थी वह दादा कहते बच्ची है</div><div align="center">चाचा कहते भाभी मेरी फ़ुलों से भी अच्छी है</div><div align="center">दादी को वह हंसती-गाती अनगढ़-सी गुड़िया लगती थी</div><div align="center"> छोटा में था- मुझको तो वह आमों की बगिया लगती थी </div><div align="center">जीवन की इस कड़ी धूप में अब भी वह अमराई है!</div><div align="center">बहुत दिनों पर आज अचानक अम्मा छत पर आई है!<br /></div><div align="center">नींद नहीं थी लेकिन थोड़े छोटे छोटे सपने थे </div><div align="center">हरे किनारे वाली साड़ी गोटे गोटे सपने थे</div><div align="center">रात रात भर चिड़िया जगती पत्ता पत्ता सेती थी </div><div align="center">कभी कभी आंचल का कोना आँखों पर धर लेती थी </div><div align="center">धुंध और कोहरे में डुबी अम्मा एक तराई है!</div><div align="center">बहुत दिनों पर आज अचानक अम्मा छत पर आई है!</div><div align="center"><br />हंसती थी तो घर में घी के दीए जलते थे</div><div align="center">फ़ूल साथ में दामन उसका थामे चलते थे</div><div align="center">धीरे-धीरे घने बाल वे जाते हुए लगे</div><div align="center">दोनो आँखो के नीचे दो काले चाँद उगे</div><div align="center">आज चलन से बाहर जैसे अम्मा आना पाई है!</div><div align="center">पापा को दरवाजे तक वह छोड़ लौटती थी</div><div align="center">आंखो में कुछ काले बादल जोड़ वह लौटती थी</div><div align="center">गहराती उन रातों में वह जलती रहती थी</div><div align="center">पूरे घर में किरन सरीखी चलती रहती थी </div><div align="center">जीवन में जो नहीं मिला उन सब की मां भरपाई है!</div><div align="center">बहुत दिनों पर आज अचानक अम्मा छत पर आई है!</div><div align="center"><br />बड़े भागते वह तीखे दिन वह धीमी शांत बहा करती थी </div><div align="center">शायद उसके भीतर दुनिया कोइ और रहा करती थी</div><div align="center">खूब जतन से सींचा उसने फ़सल फ़सल को खेत खेत को </div><div align="center">उसकी आंखे पढ़ लेती थी नदी-नदी को रेत रेत को</div><div align="center">अम्मा कोई नाव डुबती बार बार उतराई है!</div><div align="center">बहुत दिनों पर आज अचानक अम्मा छत पर आई है!</div><div align="center"><br />मां पर लिखी कुछ और कवितायें :</div><div align="center"><a href="http://sangeetamanral.blogspot.com/2006/04/blog-post_28.html">संगीता मनराल</a></div><div align="center"><a href="http://man-ki-baat.blogspot.com/2006/05/blog-post_13.html">मन की बात</a></div><div align="center"><a href="http://soniratna.blogspot.com/2006/05/blog-post_13.html">रत्ना की रसोई<br /></a><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /> </div>Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1147507170661716872006-05-13T13:08:00.000+05:302006-05-13T19:42:51.370+05:30गिनेस बुक में दाखिल अब तक का सबसे बेहतरीन रिकॉर्ड<a href="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/1600/image1.jpg"></a><br />फ़िलीपींस की राजधानी मनीला में पिछले गुरूवार को एक बेहतरीन रिकॉर्ड बनाने के लिये ३७३८ महिलाओं ने एक जगह एकत्रित हो कर अपने बच्चों को स्तनपान करवाया। <a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/science/story/2006/05/060506_breast_feeding.shtml">यहाँ</a> प्रकाशित लेख के अनुसार फ़िलिपींस में मात्र १६% महिलायें ही अपने बच्चों को स्तनपान करवाती हैं। महिलाओं के इस अभियान से वाकई अगर स्तनपान के प्रति जागृति आती है तो यह अभियान सफ़ल माना जाना चाहिये। मेरे हिसाब से गिनेस बुक में अब तक दाखिल किये गये सबसे बेहतरीन रिकॉर्ड में से यह एक है।<br /><br />नीचे मेरी पसन्द <a href="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/1600/Maa.jpg"><img style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/200/Maa.jpg" border="0" /></a>का एक चित्र भी प्रस्तुत है। यह चित्र सालों से मेरे पर्स में रखा हुआ है, कई लोग अक्सर मुझसे चित्र के लिये पूछते हैं, पर में उन्हें कैसे बताऊं की मेरे लिये या सबके लिये माँ क्या है। वैसे मैने एक संक्षिप्त उत्तर <a href="http://1jharokha.blogspot.com/2006/05/blog-post.html">यहाँ</a> देने की कोशिश की है।Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1147263390339904272006-05-10T14:47:00.000+05:302006-05-10T17:46:30.393+05:30चित्र पहेल-४ का हल- लिवींग स्टोन "लिथोप्स"कोई भी कड़ी नहीं देने के बावजूद भाई लोगों ने बहुत कोशिश की, किसी ने चॉकलेट किसी ने मशरूम तो किसी ने शरीर का कोई अंग बताया परन्तु में आप सबसे माफ़ी चाहुंगा क्यों कि इनमे से एक भी उत्तर सही नही है। हाँ समीर लाल जी ने हर बार की भाँति कुछ कोशिश की उन्होने पहले केक्टस बताया परन्तु पूर्ण विश्वास के साथ नहीं।<br /><br />जी हाँ यह केक्टस तो नहीं परन्तु यह एक पौधा जरूर है। पत्थर की भांति दिखने वाला यह पौधा दक्षिण अफ़्रीका में बहुतायत रूप से पाया जाता है। इस पौधे का नाम है <a href="http://en.wikipedia.org/wiki/Lithops">"लिथोप्स"</a>।<br /><br />ग्रीक भाषा के "लिथो" यानि पत्थर और "आप्स" यानि "कि तरह दिखने वाला"। दो आपस में जुड़े पत्ते वाला यह पौधा रेगिस्तानी इलाकों में पाया जाता है, इस वजह से इसको पानी की आवश्यकता बहुत कम होती है। पहेली में दिखाये गये चित्र की भांति इस के पत्तों पर तरह तरह की डिजायन बनी हुई होती है; जो देखने में बहुत सुन्दर होती है, मानो रंग बिरंगे जवाहरात बिखरे पड़े हों और इसी वजह से इसे <a href="http://www.colostate.edu/Depts/CoopExt/4DMG/Plants/stones.htm">"लीवींग </a>स्टोन " भी कहा जाता है। पत्थर की भांति दिखने की वजह से यह जीव जन्तुओं से बचा रहता है और इसी वजह से इस पौधे की उम्र ९० से लेकर १०० साल तक पाई जाती है। नवंबर से मार्च तक इन पौधों पर रंग बिरंगे और खुशबुदार फ़ूल लगते हैं<br /><br /><br /><div align="justify"></div><div align="justify"></div><div align="justify">अब आप गूगल भैया से लिथोप्स कि बारे में ज्यादा जानकारी पुछेंगे तो इस पौधे की विशेषताएं जानकर हैरान रह जायेंगे।</div><div align="justify"> </div><div align="justify"></div><div align="justify"></div><div align="justify">काश कोई ऐसा सर्च इंजन होता जिसमे "दस्तक" के चित्र पहेली के चित्रों को पेस्ट कर ये पता लगाया जा सकता कि ये चित्र किसका हैं तो सागर चन्द नाहर की चित्र पहेली की हवा निकल जाती।</div><div align="justify"> </div><div align="justify"></div><div align="justify"></div><div align="justify"></div><div align="justify">मन्ने तो यान लागे हे सागर के तने अब ब्लोगिंग करता चित्र पहेली ज्यादा "सूट" करे है, क्यूं युगल जी?<a href="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/1600/Lithops1.jpg"></a></div><br /><a href="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/1600/Lithops4.jpg"></a><br /><br /><img style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/400/Lithops2.jpg" border="0" /><br /><img style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/400/lithops.jpg" border="0" /><br /><img style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 236px; CURSOR: hand; HEIGHT: 135px; TEXT-ALIGN: center" height="135" alt="" src="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/400/Lithops1.1.jpg" width="291" border="0" /><br /><img style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/400/Lithops3.0.jpg" border="0" /><img style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/400/Lithops4.jpg" border="0" />Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1147171810259631812006-05-09T16:15:00.000+05:302006-05-09T16:20:10.273+05:30चित्र पहेली - 4प्रस्तुत है एक और चित्र पहेली, यहाँ दिखाये गये चित्र को पहचानिये; यह क्या है। इस पहेली में कोई कड़ी /हिन्ट नहीं दी जा रही है, नहीं नहीं ...यह पत्थर नहीं है!!!!!!!<br /><img style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="http://photos1.blogger.com/blogger/4642/2018/400/image.3.jpg" border="0" />Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1146916303425966632006-05-06T16:54:00.000+05:302006-05-06T17:21:43.436+05:30रजनीश मंगला जी कि टिप्पणी के बारे में एक सवाल<div align="justify"> <a href="http://sagarnahar.blogspot.com/2006/05/blog-post_05.html#links">एडोल्फ़ आईकमान के लेख </a>पर रजनीश मंगला जी की टिप्पणी थी कि <em><strong>कभी कभी में सोचता हुँ कि जर्मनी में रह कर गल्ती तो नहीं कर रहा!</strong></em>" इस बारे मे में रजनीश मंगला जी से पुछना चाहुंगा कि क्या अब भी वहाँ यहूदियों को उसी नज़र से देखा जाता है जिस नज़र से प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के बीच में देखा जाता था?</div><div align="justify"> </div><div align="justify"> दूसरी बात यह है कि प्रथम युद्ध में जर्मनी की पराजय के बाद <a href="http://en.wikipedia.org/wiki/Wilhelm_II_of_Germany">सम्राट विल्हेम कैसर </a>देश की जनता को विजेता मुल्कों की सेना के हवाले छोड़ कर भाग गये और अत्याचारों का जो सिलसिला विजेता मुल्कों ने जर्मनी की मासूम जनता पर ढ़ाना शुरू किया वह असहनीय था, और उस बुरे समय में जर्मनी के यहूदियों ने उन्हे ब्याज पर पैसे दे कर लूटना शुरू कर दिया था। तब देश की दुखी जनता को उस संकट से उबारने के लिये <a href="http://en.wikipedia.org/wiki/Adolf_Hitler">हिटलर</a> ने विजेता मुल्कों के सामने विद्रोह किया और देश की दुखी जनता को संकट से उबारने की कोशिश की,और फ़िर शुरु हुआ विश्व युद्ध-२। </div><div align="justify"> </div><div align="justify"> हिटलर ने विजेता मुल्कों के साथ यहुदियों को भी अपना दुश्मन मान कए उन्हे मरवाना शुरू किया जो जरमनी की हार और उसकी आत्महत्या पर ही जाकर रुका, तब तक ६० लाख यहूदी साफ़ हो चुके थे।</div><div align="justify"> </div><div align="justify"> में मानता हुँ कि हिटलर ने अपने जीवन में एक ही सबसे बड़ी भूल बस यही की थी, कि उसने सारे विश्व के यहूदियों को अपना दुश्मन माना; हिटलर की उस भूल को अगर एक बार दरकिनार किया जाय या छोड़ दिया जाय तो सारे विश्व में हिटलर से बड़ा देशभक्त पैदा नहीं हुआ!!</div><div align="justify">क्या में सही हूँ, आप अपनी राय दें।</div>Sagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-23868474.post-1146829483897915622006-05-05T17:12:00.000+05:302006-05-05T17:27:45.990+05:30आज का सबसे दुखद समाचारआज का सबसे दुखद समाचार हिन्दी फ़िल्मों के प्रख्यात और मेरे सबसे पसंदीदा संगीतकार <a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/story/2006/05/060505_naushad_dead.shtml">नौशाद साहब का निधन</a>. नौशाद साहब उन हिन्दी फ़िल्म संगीत की आखिरी कड़ी थे जिनके संगीत निर्देशन में स्व. के.एल. सहगल ने भी गाया था. नौशाद साहब का एक शेर प्रस्तुत हे<br />अब भी साज़-ए-दिल में तराने बहुत हैं<br />अब भी जीने के बहाने बहुत हैं<br />गैर घर भीख ना मांगो फ़न की<br />जब अपने ही घर में खजाने बहुत हैं<br />है दिन बद-मज़ाकी के "नौशाद" लेकिन<br />अब भी तेरे फ़न के दीवाने बहुत हैं.<br /><br />स्व. नौशाद साहब को हार्दिक श्रद्धान्जली, अल्लाह उनकी रूह को सुकुन फ़रमायेSagar Chand Naharhttp://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com2