आज का सबसे दुखद समाचार हिन्दी फ़िल्मों के प्रख्यात और मेरे सबसे पसंदीदा संगीतकार नौशाद साहब का निधन. नौशाद साहब उन हिन्दी फ़िल्म संगीत की आखिरी कड़ी थे जिनके संगीत निर्देशन में स्व. के.एल. सहगल ने भी गाया था. नौशाद साहब का एक शेर प्रस्तुत हे
अब भी साज़-ए-दिल में तराने बहुत हैं
अब भी जीने के बहाने बहुत हैं
गैर घर भीख ना मांगो फ़न की
जब अपने ही घर में खजाने बहुत हैं
है दिन बद-मज़ाकी के "नौशाद" लेकिन
अब भी तेरे फ़न के दीवाने बहुत हैं.
स्व. नौशाद साहब को हार्दिक श्रद्धान्जली, अल्लाह उनकी रूह को सुकुन फ़रमाये
शुक्रवार, मई 05, 2006
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2 टिप्पणियां:
अत्यन्त दुखद समाचार है।
स्व.नौशाद साहब को हार्दिक श्रद्धान्जली
समीर लाल
नौशाद साहब का बेहतरीन काम हमेशा उनकी यादें ताजा करता रहेगा ।
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