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शनिवार, जुलाई 22, 2006

कुछ और गणितज्ञ

रत्ना जी ने कुछ दिनों पहले जिसे देखा जिसे इलाहाबाद-लखनऊ पथ पर और अपने चिठ्ठे पर तेजस्वी बच्चे का जिक्र किया जो सड़कों पर अपना "गियान" (ज्ञान) बेचता था, इस दिशा में और अध्ययन किया तो एसे कई और तेजस्वी दुनिया में हो चुके हैं। उनमें से कुछेक का जिक्र यहाँ करना चाहता हुँ।
कार्ल गाऊस:
मात्र तीन वर्ष की उम्र में अपने पिता के ईंट के भट्टे पर खेलते खेलते अपने ज्ञान का पर्चा देना शुरू कर दिया। जब गाऊस ठीक ढंग से बोलना भी नहीं जानते थे। पिता अपने मजदूरों को तनख्वाह देने के लिये जो सूची बना रखी थी उसे देख कर गाऊस बोले " Total is wrong- Total is wrong" पिता को आश्चर्य हुआ, उन्हे बालक को पूछा कहाँ ? तो गाऊस ने अपनी ऊंगली वहाँ रख दी जहां वाकई जोड़ में गलती थी। 19 वर्ष में " कार्ल गाऊस फ़्रेडरिक" ने गणित के कई सिद्धान्तों की खोज की और इन्ही गाऊस को हम उनके चुंबकीय खोज के अलावा चुंबकत्व को मापने की ईकाई "गाऊस" के रूप में भी जानते हैं।

जाकी ईनोदी:
रत्ना जी के बताये बच्चे की तरह ईटली के जाकी ईनोदी पशु चराते चराते एक बहुत बड़े गणितज्ञ बने थे, इनोदी अपने ज्ञान को उसी तरह प्रदर्शित किया करते थे जैसे वो नन्हा बालक करता है। फ़र्क यही है कि वो सड़कों पर करता है और इनोदी स्टेज पर करते थे। एक बार उन्होने 1,19,55,06,69,121 का वर्गमूल तो मात्र 23 सैकण्ड में ( 3,45,761) बता दिया था

जेडेडिया बक्स्टन:
अनपढ़, और निपत देहाती, लिखना और पढ़ना बिल्कुल नहीं जानने वाले बक्सटन खेती करते थे, परन्तु दिमाग इतना तेज की खेत में पैदल चल कर उसका क्षेत्रफ़ल सचोट बता देते थे, वैज्ञानिकों ने उनको एक बार आजमाया और बाद में एक नाटक दिखाने ले गये, नाटक के अंत मे बक्सटन ने बताया कि नाटक में कलाकार कितने शब्द बोले और कितने कदम चले, वैज्ञानिकों ने स्क्रिप्ट देखी तो पाया कि बक्सटन बिल्कुल सही थे।

भारतीय गणितज्ञ:

श्याम मराठे:
नाम के इस गणितज्ञ ने 24,24,29,00,77,05,53,98,19,41,87,46,78,26,84,86,96,67,25,193 हाश... इतनी लम्बी संख्या का 23वां वर्गमूल ( 57) कुछ ही मिनीट में बता दिया और वो भी मौखिक।

दिवेश शाह:

शकुन्तला देवी:
इन मानव कम्प्युटर महिला के बारे में बताने की आवश्यकता है?

श्रीनिवास रामानुजन आयंगर:
के बारे में भी कुछ लिखना जरूरी नहीं लगता, क्यों कि हर भारतीय इन्हें अच्छी तरह से जानते हैं।

इन के अलावा लम्बी सुची (लगभग 100 लोगों की)

सौजन्य: सफ़ारी

शुक्रवार, जुलाई 21, 2006

क्या भारत इसराइल बन सकता है?


आतंकवाद पर परिचर्चा में अनुनाद जी की एक टिप्पणी थी
Israel kee neeti well-researched neeti hai. Bhaarat me usake alaawaa kuCh kaam nahee karegaa. Kisee galatphahamee me mat raho.
और संजय बेंगानी जी की एक टिप्पणी थी भारत इज्राइल क्यों नहीं बन सकता?
मैने इसराईल के बारे में जितना कुछ पढ़ा है मुझे पता चला है कि इसराईल को विदेशों में रह रहे यहूदी अपने देश के लिये बहुत पैसा भेजते हैं, और इसराईल में रह रहे यहूदियों का देश के लिये रक्षा फ़ंड मे वार्षिक १००० डॉलर हिस्सा होता है, यानि लगभग ४,८०,००,००,००० डॉलर(एकाद बिन्दी कम ज्यादा हो तो जोड़ लें) अब भारत का क्षेत्रफ़ल इसराईल से लगभग १५८ गुना ज्यादा है, और रक्षा बजट मात्र २.५ गुना क्या ऐसे में संभव है कि हम इसराईल की तरह आक्रामक हों जायें? क्या भारत की आर्थिक स्थिती इतनी समृद्ध है कि हम बार बार युद्ध कर सकें।
पैसा तो भारत को भारतीय एन आर आई भी बहुत भेजते है परन्तु वह देश के रक्षा कोष की बजाय़ मंदिरों, मदरसों और गिरजाघरों की दीवारें बनाने में ही खर्च हो जाता है। मुझे भी इसराईल के प्रति बहुत आकर्षण है, अन्याय के विरुद्ध लड़ने का उनका तरीका जबरदस्त है परन्तु जिस दिन सुनील जी का यह चिठ्ठा पढा़ मन सोचने को मजबूर हो गया। क्या सही है क्या गलत मन इसी उधेड़बुन में है।
सुनील जी ने अपने इस चिठ्ठे में बहुत अच्छा लिखा है कि "मैं मानता हूँ कि केवल बातचीत से, समझोते से ही समस्याएँ हल हो सकती हैं, युद्ध से, बमों से नहीं. अगर एक आँख के बदले दो आँखें लेने की नीति चलेगी तो एक दिन सारा संसार अँधा हो जायेगा"

गुरुवार, जुलाई 13, 2006

अनुगूँज- चुटुकुले-२

Akshargram Anugunj

गब्बर की धमकी से डर कर चुटुकुलों की अगली कड़ी प्रस्तुत है।
एक छोटे बच्चे से शिक्षिका ने पूछा " क्यों टिंकू तुम दो दिन स्कूल क्यों नहीं आये ?
टीचर वो क्या है कि मेरे पास एक ही ड्रेस है और वो परसों मम्मी ने धोकर सुखाई थी तो मैं स्कूल कैसे आता ? पूरे दिन बिना कपड़ों के घर पर रहना पड़ा।
अच्छा फ़िर कल क्यों नहीं आये ?
कल मैं आ रहा था टीचर पर जब मैं आपके घर के बाहर से निकला तो देखा कि आपके कपड़े भी सूख रहे थे।

*****

एक बार एक वैज्ञानिक ने एसे कम्प्युटर का अविष्कार किया जो सब कुछ बता सकता था
एक आदमी ने सवाल किया मेरे पिताजी अभी कहाँ है ?
कम्प्युटर ने जवाब दिया अभी वे कलकत्ते के एक बार में शराब पी रहे हैं
आदमी ने कहा गलत " मेरे पिताजी को गुजरे कई वर्ष हो गये है"
कम्प्युटर ने फ़िर कहा तुम्हारी माँ के पति को गुजरे कई वर्ष हो गये हैं पर तुम्हारे पिता अभी कलकत्ते के बार में शराब पी रहे हैं ।

*****

बॉटनी (कृषि विज्ञान) में स्नातक हो कर एक युवक घर आया तो देखा उसके पिताजी पेड़ों को पानी पिला रहे थे।
उसने कहा पिताजी आप ये क्या कर रहे हो इस तरह पत्तों पर पानी डालोगे तो इस पेड़ पर कभी भी चीकू नहीं लगेंगे।
पिता ने कहा बेटा वो तो तब भी नहीं लगेंगे जब मैं इस की जड़ों में पानी लुंगा क्यों कि यह चीकू का नहीं केले का पेड़ है।

*****

ट्रेन में एक यात्रा के दौरान एक प्रेमिका ने कहा " जानू मेरे सर में दर्द हो रहा है"
प्रेमी ने उसके सर को चूम लिया बस अब ठीक है प्रेमिका ने कहा " हाँ"
कुछ देर के बाद फ़िर प्रेमिका ने कहा जानू मेरे हाथ में दर्द हो रहा है" प्रेमी ने फ़िर वैसा ही किया और पूछा अब ठीक है?
प्रेमिका ने फ़िर कहा " हाँ"उपर की बर्थ पेर बैठे एक सज्जन से रहा नहीं गया उन्होने प्रेमी से पूछा
"क्यों जी क्या आप पाईल्स ( मस्से) का भी इलाज करते हो ? "

*****

बाथरूम में धमाके की आवाज सुन कर पत्नी घबरा गई और पूछा क्या हुआ?
पति अन्दर से बोले कुछ नहीं जरा बनियान गिर गई थी।
बनियान गिरने से इतनी तेज धमाके की आवाज?
हाँ मैने पहन जो रखी थी।

******
७५ वर्ष की उम्र में चीनी भाषा सीख रहे संता सिंह जी से मित्रों ने जब इसकी वजह पूछी तो संता सिंह ने बताया उन्होनें कल ही एक अनाथ २ महीने के चीनी (Chiness) शिशु को गोद लिया है।
******
सावधान अगर आप बस, ट्रेन, प्लेन या कहीं से भी जा रहे हो और किसी महिला/ लड़की के हाथ में धागा, फ़ूल, चैन या कोई भी चमकती चीज़ दिखाई दे तो वहाँ से तुरंत भाग जाईये,
यह चीज राखी भी हो सकती है, आपकी जरा सी लापरवाही आपको भाई बना सकती है।
........पुरूष हित में जारी......

******

जज ने वकील को कहा "तुम अपने सीमा से बाहर जा रहे हो , मैं तुम्हें कोर्ट की अवमानना के जुर्म में गिरफ़्तार करवा सकता हुँ"
कौन साला कहता है ?
ज ने कहा तुमने मुझे साला कहा
नहीं मी लोर्ड मैने यह कहा कौन सा ला ( Law) कहता है

******

एक बार एक हवाई यात्रा के दौरान एक भारतीय सेना के मेजर संता सिंह और पाकिस्तानी सेना के दो मेजर पास पास की सीट पर बैठे थे, अचानक पाकी सेना के एक मेजर ने कहा मैं ठंडा लेकर आता हुँ, संता सिंह जी ने विनम्रता से कहा आप बेठिये मैं लेकर आता हुँ।
संता सिंह जी ने जूते उतारे हुए थे सो भूल से जूतों को पहने बिना ही ठंडा लेने चले गये, तब तक पाकी मेजर ने मौका देख कर जूतों में पान की पिचकारी मार दी, थोड़ी देर बाद दूसरे ने भी एसा ही किया, संता सिंह जी को पता नहीं चला, लंदन एयरपोर्ट पर जब उन्होने जूते पहने तो उन्हे पता चल गया कि उनके साथ क्या हुआ है,
उन्होने उन दोनो मेजर को अपने पास बुलाया और बोले
यार हम कब सुधरेंगे "कब तुम जूतों में पान की पीक की पिचकारी मारना और हम तुम्हारे कोल्ड ड्रिंक में माय ओन कोला ( my own cola -Urin) मिलाना बन्द करेंगे।

******
एक बार एक सेठ डॉक्टर के पास गये और बोले साहब मुझे नींद कम आती है और कुछ कब्जियात भी रहती है
डॉक्टरने दो पुड़िया देते हुए कहा सुनो इसमें एक पुड़िया में नींद लाने और दूसरे में पेट साफ़ करने की दवाई है, ध्यान रखना ये दोनो दवाई साथ साथ मत ले लेना

*****

लुधियाना के संता सिंह जी ने डॉक्टर को फ़ोन किया
डॉक्टर साहब मैं ६ साल पहले कब्जियात का इलाज करवाने के लिये आपके पास आया तब आपने कहा था रोज ३ किलोमीटर चलने के लिये ?
डॉक्टर ने कहा तो, अब तुम कहाँ से बोल रहे हो ?
साहब अब मैं त्रिवेन्द्रम तक तो पहुँच गया हुँ।

*****

लुधियाना के संता सिंह जी ने एक बार फ़िर से डॉक्टर को फ़ोन किया
डॉक्टर साहब मैं ६ साल पहले आपके पास सर्दी जुकाम के इलाज के लिये आया तब आपने मुझे नहाने से मना किया था"
डॉक्टर ने कहा तो,
संता सिंह जी ने पूछा क्या अब मैं नहा सकता हुँ
टैगः ,

बुधवार, जुलाई 12, 2006

क्या हर मुसलमान बुरा होता है-2


पिछली प्रविष्टी लिखने से मेरा आशय किसी भी धर्म को क्लीन चिट देना या बुरा कहना से नहीं है। मेरे लेखों में कई विरोधाभास हो सकते हैं, उस का उत्तर मैं आगे देने की कोशिश करूंगा।
अच्छाई और बुराई यह मानवीय गुण है जो हर धर्म के लोगों में पाये जाते हैं। जिस तरह मैने शमीम मौसी को देखा है उस तरह एक और मुसलमान परिवार को देखा है जो हिन्दुओं से सख्त नफ़रत करते हैं।
उन दिनों की बात है जब मैं मोबाईल रिपेयरिंग का कोर्स मुंबई से सीख रहा था, रोज सुबह ५.३० की फ़्लाईंग रानी से मुंबई जाना और उसी ट्रेन से वापस आना।
एक दिन मुंबई से वापसी यात्रा के दौरान एक मुस्लिम परिवार साथ में था एक नवपरिणित महिला जो अपने मायके भरूच जा रही थी,एक ७-८ साल की बच्ची और उनके अब्बा भी थे। अब्बा और दीदी ऊँघने लगे और जैसा कि बच्चों की आदत होती है कविता बोलने/गुनगुनाने की बच्ची कुछ इस तरह बोलने लगी,
अल्लाह महान है
भगवान, भगवान नहीं शैतान है।
मैने बच्ची को पूछा आपको और क्या क्या आता है तो सुनिये उस ७-८ साल की बच्ची ने क्या बताया " भगवान दोजख/ जहन्नुम में रहते हैं और अल्लाह जन्नत में रहते है, हिन्दू काफ़िर होते हैं। और कई बाते उस नन्ही बच्ची ने हिन्दूओं के सम्मान में सुनायी जो यहाँ लिखी नहीं जा सकती। फ़िर मैने उस बच्ची को पूछा यह सब आपको किसने बताया । उसने कहा हमारे मदरसे के मौलवी साहब ने। उस बच्ची को मैने समझाय़ा नहीं बेटा यह गलत है ना हिन्दू बुरे होते हैं ना मुसलमान पर बच्ची के मन में जो बात इतनी दृढ़ता से बैठ चुकी थी वो उसके मन से नहीं निकला।
वह यही कहती रही हिन्दू बुरे होते हैं। उसने मुझे भी पूछ लिया आप हिन्दू हो अंकल? मैं क्या कहता उसे....?
आप सोचेंगे कि पहले मुसलमानों की तारीफ़ और अब यह पोष्ट... पर क्या किया जाये मैं ना तो तथाकथित सेक्युलर बन सका हुँ ना ही तोगड़िया और बाल ठाकरे की तरह कट्टर हिन्दू, ना आस्तिक हुँ ना ही नास्तिक, भगवान होते हैं या नहीं पता नहीं। तुष्टिकरण किसे कहते हैं पता नहीं।मैं अजमेर की दरगाह शरीफ़ भी जा चुका हुँ और अक्षरधाम भी। मेरे मकान मालिक आर जोशूआ साहब चुस्त ईसाई हैं और मेरी पत्नी को बेटी मानते हैं, मैने कई ईसाईयों को देखा है जो हिन्दुओं का दिया प्रसाद छूते भी नहीं पर जोशूआ साहब मेरे घर का प्रसाद भी खाते हैं।
मुझे कट्टरतावाद से सख्त नफ़रत है चाहे वो हिन्दू हो, मुसलमान हो या ईसाई हो। मैं मुकेश जी का यह भजन सही मानता हुँ-
सुर की गति मैं क्या जानूँ, एक भजन करना जानूँ ।
अर्थ भजन का भी अति गहरा, उसको भी मैं क्या जानूँ ॥
प्रभु प्रभु कहना जानुँ, नैना जल भरना जानूँ।
गुण गाये प्रभू न्याय ना छोड़े, फ़िर तुम क्यों गुण गाते हो।
मैं बोला मैं प्रेम दीवाना, इतनी बातें क्या जानूँ ॥
प्रभु प्रभु कहना जानुँ, नैना जल भरना जानूँ।
यहाँ सुनें
अन्त में:
अनुनाद जी: हम ऐसा कैसे मान ही लें कि हर बम विस्फ़ोट में किसी एक ही मजहब के लोगों का हाथ होता है? क्यों कि दाऊद इब्राहीम जैसे लोगों की गैंग में हर धर्म के गुंडे है जो हर तरह का काम करते हैं, मानता हुँ कि मुसलमान अधिक कट्टर होते हैं, हिन्दू नहीं और रोना भी इसी का है कि हिन्दूओं मैं ही एकता नहीं है। जैन,ब्राह्मण, कायस्थ , और ना जाने क्या क्या, जब तक सारे लोग हिन्दू नहीं हो जाते बम विस्फ़ोट होते ही रहेंगे। हम परिचर्चा में और यहाँ बहस करते ही रहेंगे फ़िर कुछ दिनों बाद ज्यों का त्यों। फ़िर कोई बम विस्फ़ोट होगा फ़िर बहस यह कब रूकेगी उपर वाला जाने।
पंकज भाई: मैं फ़िर कहुंगा कि सारे इस्लामी आतंकवादी नहीं है।

क्या हर मुसलमान बुरा होता है

परिचर्चा में मुस्लिम आतंकवाद से शुरु हुई बात कहाँ तक पहुँच गई है, मैं भी वहाँ लिखना चाहता था परन्तु यहाँ लिखना ही ठीक लगा ।
कुछ मेरी भी सुनो, जैसा आप जानते हैं गोधरा दंगों और 1992 के दंगों के समय में सुरत, गुजरात में रह रहा था, दंगे के दिनों में मैने खुद मुसलमानों को मुसलमानों की दुकानें लूटते और हिन्दुओं को हिन्दुओं को नुकसान पहुँचाते देखा है।मेरे कहने का मतलब यह है कि दंगाईयों का कोई धर्म या मजहब नहीं होता।
हमारे मकान मालिक स्व. हैदर भाई मुस्लिम थे, दो साल हम साथ रहे, उनके मांसाहार की वजह से कई बार हमारी बहस हुई, पर आज उस बात को १५ साल बीत चुके परन्तु प्रेम में कोई कमी नहीं आई, बड़े भाई बैंगलोर रहते हैं, जब भी सूरत आते सबसे पहले शमीम मौसी के पाँव छूने जाते हैं मेरा भी यही है जब तक सूरत रहा १५ दिन में एक बार उनके घर जाना पड़ता था। शायद मेरी सगी माँ जितना प्रेम करती है, उतना ही प्रेम शमीम मौसी करती है। हर बार मिठाई, फ़ल फ़्रूट आदि जबरदस्ती देती है, अगर मना करो तो कहती है कि तेरी माँ देती तो क्या मना करता? हम कुछ कह नहीं पाते, यह लिखते समय शमीम मौसी और उनके बच्चों फ़िरोज और शबनम का प्रेम याद कर आँख से आँसू टपक पड़े है। क्या हर मुसलमान बुरा होता है और हर हिन्दू जन्मजात शरीफ़?
जब हैदर भाई का निधन हुआ और मैं मौसी से मिलने गया तब पता चला कि मुस्लिम समाज में पति के निधन के बाद स्त्री ४० दिन तक किसी गैर मर्द से नहीं मिल सकती पर मौसी हम से मिली और हमारा प्रेम देख कर उनके समाज के दूसरे लोग भी आश्चर्यचकित हो गये। मैं अपने दोस्तों को भी अपने साथ उनके घर गया हुँ मेरे हिन्दू दोस्त भी नहीं मान पाते कि शमीम मौसी हिन्दू नहीं है! जब कि शमीम मौसी पक्की नमाजी मुसलमान स्त्री है और बिना नागा पाँचों वक्त की नमाज अदा करती है।
सुरत छोड़ते समय शबनम प्रसूति पर सुसराल से आयी हुई थी, मेरे पाँव छूने लगी मैने उसे ऐसा नहीं करने दिया और १५१/- उसे दिये तो मौसी ने मना कर दिया, मैने कहा मौसी आप कौन होती है भाई बहन के बीच में पड़ने वाली ? मैं मेरी बहन को कुछ भी दँ आप नहीं रोक सकती उस वक्त का दृश्य याद कर अब और लिखने की हिम्मत नहीं रही । आँखों से आँसू बह निकले है। उस दिन मेरे साथ मेरा एक मित्र जगदीश चौधरी था वह उस दिन रो पड़ा था ।
यह आप सब को शायद अतिशियोक्ती लग सकती है, परन्तु यह सच है और आप मुझसे शमीम मौसी का फ़ोन नं लेकर उनसे सारी बातें पूछ सकते हैं। वो महान मुसलमान महिला इस पर भी हमारा बड़प्पन जतायेगी कि सागर और शिखर बहुत अच्छे हैं जो हम से इतना प्रेम करते हैं । धन्य हैं एसे मुसलमान परिवार जिनके ह्रूदय में हिन्दू मुसलमान नहीं बल्कि प्रेम ही प्रेम भरा है।
जब कभी भी दंगे होते हैं हम अक्सर मुसलमान को कोसते है परन्तु मैं नहीं मानता कि हर मुसलमान बुरा होता है। हर मुसलमान दाऊद इब्राहीम नहीं होता, उनमें से ही कोई डॉ. कलाम बनता है, हमारे सुहैब भाई भी इस का सबसे अनुकरणीय उदाहरण है जो अपने आप को मुसलमान की बजाय हिन्दुस्तानी कहलाना ज्यादा पसन्द करते हैं।

सोमवार, जुलाई 10, 2006

राजस्थानी भाषा का नारद

कुछ लोगों की उत्साह वाकई गज़ब होता है। अपने टी आर पी विशेषज्ञ बाबा बेंगानी उर्फ़ संजय बेंगानी इस का उत्तम उदाहरण है। कुछ दिनों पहले गूगल पर बेंगानी बाबा से बात करते समय मैने कुछ वाक्य राजस्थानी में लिख दिये, तभी महोदय के मन में विचार आया कि क्यों ना राजस्थानी में भी चिठ्ठा लिखा जाये, हमने तो सोचा कि बाबा मजाक कर रहे हैं पर यह क्या, अगले दिन सुबह कि मेल से संदेश मिला कि मैने अपना राजस्थानी चिठ्ठा "घणी खम्मा "बना लिया है, और हमें आदेश दिया कि तुम भी अपना राजस्थानी चिठ्ठा बनाओ! भाई बाबा के आदेश का पालन करना जरूरी है नही तो एक मंतर मारेंगे कि सारी टी आर पी गायब हो जायेगी सो हमने भी अपना राजस्थानी चिठ्ठा " राजस्थली"बना लिया है।
इस के साथ ही बाबा बेंगानी उर्फ़ संजय बेंगानी राजस्थानी भाषा के पहले और सागर दूसरे चिठ्ठा कार हो गये।
अब चिठ्ठा तो लिख लिया पर राजस्थानी भाषा के लिये नारद कहाँ से लायें!!
तो साहब अपने परम पूज्य बाबा बेंगानी ने इस का रास्ता भी निकाल लिया पहले गुजराती नारद" ઓટલો" के बाद आपने राजस्थानी भाषा के नारद "राजस्थान तरकश " भी बना लिया है। इतना ही नहीं बाबा बेंगानी अब राजस्थानी भाषा का शब्दकोष भी बना रहे हैं।
ध्यान रहे कि बाबा बेंगानी का नामकरण हमने किया है यह हमारा कॉपीराईट है सो इस शब्द को उपयोग में लेने से पहले शुल्क के रूप में हमें धन्यवाद देना जरूरी है वरना हम बाबा से कह कर ऐसा टोटका करेंगे/ करवायेंगे कि आपके चिठ्ठे पर कोई टिप्प्णी भी नहीं करेगा।
राजस्थानी भाषा के शब्दकोष में सभी राजस्थानी भाषा के जानकार भाई बहनों का सहयोग अपेक्षित है, आप सब संजय भाई को या मुझे मेल लिख कर सहयोग कर सकते हैं, धन्यवाद।

शनिवार, जुलाई 08, 2006

अपने चिठ्ठे का टी आर पी कैसे बढ़ायें?


आज निधि जी के चिठ्ठे चिन्तन पर टी आर पी बढ़ाने संबधित लेख पढ़ा। चुँकि निधि जी चिठ्ठाकारी के क्षेत्र में नयी हैं ( अब हम कौन हड़्ड़पा और मोहन जोदड़ो के जमाने के है) परन्तु उनके इस लेख ने कई पुराने चिठ्ठाकरों के लेखन की गुणवत्ता को चुनौती दे दी है।

अब आते हैं मूल विषय पर कि अपने ब्लॉग की टी आर पी कैसे बढ़ायें?
तो पेश है जनाब कुछ नुस्खे

हर एक चिठ्ठे पर जाकर टिप्पणी दें कुछ समीर जी और सागर चन्द की तरह । टिप्पणी कैसे दें यहाँ सीख सकते हैं। वैसे खुछ खास नहीं करना है समीर जी के लेख की टिप्पणीयाँ सेव कर लें बाद में बस copy, pest ही करते रहें।

किसी के चिठ्ठेपर टिप्पणी करें तब अपने चिठ्ठे का लिन्क देना ना भूलें।

परिचर्चा के ज्वलन्त मुद्दे वाले थ्रेड में जाकर किसी विषय पर सारी टिप्पणियों के विपरित टिप्पणी दें, वहाँ भी अपने हस्ताक्षर के साथ अपने चिठ्ठे का लिन्क अवश्य दें।

व्यंगात्मक टिप्पणी दो लोग बदला लेने आपके चिठ्ठे पर जरूर आयेंगे।

आमिर खान, नरेन्द्र मोदी और नर्मदा जैसे विषयों पर लेख लिखो, जिसमे नरेन्द्र मोदी, भाजपा, नर्मदा का फ़ेवर हो और महेश भट्ट, शबाना आज़मी, आमिर खान, तिस्ता सेतलवाड आदि का विरोध ।

अपने धर्म के बारे में अनर्गल लिखो।

टाईटल एक दम कुछ हटके रखो जैसे अलविदा चिठ्ठा जगत , अपने चिठ्ठे का टी आर पी कैसे बढ़ायें? और अपना ब्लाग बेचो, भाई एवं आप सब बुद्धिजीवियों से ये उम्मीद ना थी! आदि........पाठकों को कैसे पकायें? जैसा टाईटल कभी ना रखें।

समय समय पर लोगों को अपना स्टार्ट काऊंटर का अंक बताते रहो कि अब मेरे १००० हिट पूरे हुए अब मेरे १००१ हिट पूरे हुए। कुछ इस तरह।

कुछ पहेली शहेली भी कभी कभार अपने चिठ्ठे पर लिख दो, जिसका हल आपको भी ना आता हो।

एन आर आई पर उनके देश प्रेम के प्रति संदेह व्यक्त करते हुए लेख लिखो। भले ही वह झूठ ही क्यों ना हो।

कुछ बेतुकी रोमान्टिक कविता लिखो ( आईडिया सौजन्य: ई-स्वामी जी)

समय समय पर सन्यास लेने की धमकी देते रहो, वीरू प्राजी की तरह टंकी पर चढ़ कर ! और हाँ सागर की तरह भी,लोग बाग मौसी जी की तरह डर कर आपको मनाने जरूर आयेंगे । यह सब से कारगार नुस्खा है अपने चिठ्ठे का टी आर पी बढ़ाने का।

मुफ़्त के जुगाड़ ढूंढ कर अपने चिठ्ठे पर उनका लिन्क दो।

कुछ नई खोज और नयी वैज्ञानिक क्रान्ति के बारे में लिखो।

अपने चिठ्ठे पर लेख लिख कर पुराने चिठ्ठा लेखकों से बेवजह पंगा लेते रहो ।

अंत में यहाँ और बहुत सारे आईडिया है सारे क्या मैं ही बताऊंगा क्या आप कुछ नही करोगे । सौजन्य मेरा पन्ना

शुक्रवार, जुलाई 07, 2006

चुट्कुले-1 ( अनूगूँज )

Akshargram Anugunj
एक बार संजय भाई की दुर्घटना वश एक पाँव की हड्डी टूट गई, अस्पताल में पास के बिस्तर पर सागर चन्द लेटे थे जिनकी दोनो पाँव की हड्डी टूटी हुई थी,
संजय भाई से रहा नहीं गया सागर से पूछ बैठे " आप की दो पत्नियाँ है क्या?
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एक आदमी कार का दरवाजा खोल कर दौड़ कर एक मेडिकल स्टोर में गया और उसने कहा जल्दी से हिचकी बन्द करने की दवा दो"
दुकानदार काऊँटर कूद कर बाहर आया और उस आदमी को एक कस कर थप्पड़ मार दिया और बोला अब आप की हिचकी बन्द हो गई होगी ?
उस बेचारे ने कहा कि आप भी दवा किसी को भी दे देते हो हिचकी मुझे नहीं गाड़ी में बैठी मेरी पत्नी को हो रही है।
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होमियोपेथ डॉक्टर ने एक महिला को दवा देते हुए कहा ये तीन पुड़िया दवा दे रहा हुं रात को सोते समय लेना है।
महिला ने कहा डॉक्टर साहब इस बार जरा पतले कागज में बाँधना पिछली बार पुड़िया निगलने में बड़ी तकलीफ़ पड़ी थी।
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एक मालिक ने अपने क्लर्क से पूछा आप मृत्यु के बाद जीवन में विश्वास करते हो?
क्लर्क ने कहा जी हाँ साहब!
बहुत अच्छी बात है तो हुआ युँ कि तुम्हारे जिन दादा की अन्तिम क्रिया में जाने की बात कह कर तुम दो दिन की छुट्टी लेकर गये थे; तुम्हारे दादा तुम्हारे जाने के बाद तुमसे मिलने यहाँ आये थे ।
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एक गरीब आदमी ने रात को सोते समय अपने भूखे बच्चों को कहा आज रात जो बिना खाना खाये सो जायेगा उसे पाँच रुपये का इनाम मिलेगा।
बेचारे बच्चे पाँच पाँच रुपये ले कर सो गये,
अगली सुबह उसने फ़िर बच्चों से कहा आज खाना उसे मिलेगा जो मुझे पाँच रुपये देगा।
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एक व्यक्ति अपने मित्र से कह रहा था वाकई मुझे पता चल गया है कि पूरे भारत में एकता और अखंडता है।"
दूसरे ने पूछा कैसे पता चला?
उसने कहा मैं जब दिल्ली गया तब वहाँ के लोग मुझे देखकर हंसते थे, मुंबई गया तब भी,कोलकाता और चेन्नई गया तब भी।
******

मंगलवार, जुलाई 04, 2006

मैं तो मजाक कर रहा था.

शीर्षक सौजन्य: विजय वडनेरे
साथियों आप सब के असीम प्रेम और अनुरोध को ठुकरा पाने का साहस मुझमें नहीं इस लिये सन्यास लेना कैन्सिल (बकौल ईस्वामीजी) " वीरू प्राजी" वाली ईश्टाईल में मैं टंकी से नीचे से नीचे उतर रहा हुं।
यह तो मजाक हुआ, खैर इस सारे प्रकरण में मुझे कई लोगों ने अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करने को कहा और हिम्मत दी उन सब को अन्त:करण से धन्यवाद देता हुँ। टिप्पणी के अलावा भी कई लोगो ने ईमेल के जरिये मुझे समझाया उन सबका भी हार्दिक धन्यवाद।