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मंगलवार, मई 23, 2006

क्या आपको जीवन के अभावों से शिकायत है?

  • अगर आपको अपने जीवन के अभावों से शिकायत हो तो एक बार यहाँ देखिये, और कहिये क्या अब भी आपको शिकायत है?
  • एक नज़र यहाँ भी डालें

बुधवार, मई 17, 2006

यह तो कमाल हो गया

आज वेब दुनिया पर एक समाचार पढ़ कर आश्चर्य हुआ कि वियतनामी प्रधान मंत्री "फ़ान वान खाई" लगातार (मात्र) १० वर्षों तक प्रधान मंत्री रहने के बाद सेवा निवृत होना चाहते हैं। निवृत होने के लिये जो वजह उन्होने बताई है वह वजह सुन कर और भी आश्चर्य होता है कि वे अब नयी पीढ़ी के लोगों को मौका देना चाहते हैं।

इस जगह हमारे देश में यह घटना हुई होती तो त्याग के नाम पर और उनके चमचे चीख चीख कर देश को सर उठा लेते तथा समारोह कर करोड़ों रुपये खर्च दिये जाते

श्री खाई अभी मात्र ७३ वर्ष के है जो भारतीय राजनीती के हिसाब से काफ़ी युवा हैं। कहाँ हमारे बुढ्ढे नेता जिनके पाँव कब्र में लटके रहते हैं फ़िर भी नेतागिरी या पद का मोह नही छोड़ पाते।

विश्वास नहीं होता;

डेक्कन क्रानिकल, हैदराबाद १६-०५-२००६

में छपी यह तस्वीर देख लें।


सोमवार, मई 15, 2006

चिठ्ठाकार मित्रों को धन्यवाद

विश्वास नहीं होता ये मैने किया है, परन्तु आप सभी चिठ्ठाकार भाई बहनों के बिना यह कहाँ संभव था कि एक अल्प शिक्षित हिन्दुस्तानी जिसे अंग्रेज़ी भी ढ़ंग से पढ़ना नही आती, जिसे कई बार हिन्दी में भी दिक्कतें आती हो, सोफ़्टवेर के मामले में भी शून्य बटा शून्य हो उसके चिठ्ठे पर मित्रों ने मात्र 2 महीने में एक हजार से ज्यादा बार मुलाकात ली, टिप्पणी और सुझाव दिये।
आज मेरे चिठ्ठे का मीटर 983 का अंक बता रहा है, जब मार्च में (12 मार्च)मैने लिखना शुरू किया तब थीम और डिजाईन वगैरह बदलने के समय एक दो बार मीटर शुन्य हो गया था, पहले पहले कई परेशानियाँ हुई बाद में जीतू भाई साहब (मेरा पन्ना), पंकज जी (मंतव्य) आदि मित्रों और वरिष्ठ चिठ्ठाकारों का सहयोग मिलता गया और राह थोड़ी आसान होती गयी.
कई बार मुझे इस बात का दुख होता है कि में अन्तर्जाल के व्यव्साय में होते हुए भी एक वर्ष तक हिन्दी चिठ्ठा जगत से अपरिचित रहा क्यों कि पिछले वर्ष फ़रवरी 2005 में मैने साईबर कॉफ़े चालु किया और फ़रवरी 2006 में पहली बार हिन्दी चिठ्ठा पढ़ा। खैर देर आये दुरस्त आये।
एक बार फ़िर में आप सभी को धन्यवाद अदा करता हुँ और आशा करता हुँ कि भविष्य में आप का इसी तरह सहयोग मिलता रहेगा।

रविवार, मई 14, 2006

अम्मा एक कथा गीत

छतियाने पर आपने चिठ्ठाकारों की कई कवितायें और संस्मरण पढ़े आज पढ़िये, हैदराबाद के सुप्रसिद्ध और मेरे प्रिय दैनिक हिन्दी मिलाप में दिनांक 14-05-2006 को प्रकाशित मातृत्व दिवस पर सुधांशु उपाध्याय की सुन्दर कविता :
"अम्मा "
(एक कथा गीत )
थोड़ी थोड़ी सी धूप निकलती थोड़ी बदली छाई है
बहुत दिनों पर आज अचानक अम्मा छत पर आई है!
शॉल सरक कर कांधों से उजले पावों तक आया है
यादों के आकाश का टुकड़ा फ़टी दरी पर छाया है
पहले उसको फ़ुर्सत कब थी छत के उपर आने की
उसकी पहली चिंता थी घर को जोड़ बनाने की
बहुत दिनों पर धूप का दर्पण देख रही परछाई है
बहुत दिनों पर आज अचानक अम्मा छत पर आई है!

सिकुड़ी सिमटी उस लड़की को दुनियां की काली कथा मिली
पापा के हिस्से का कर्ज़ मिला सबके हिस्से की व्यथा मिली
बिखरे घर को जोड़ रही थी काल-चक्र को मोड़ रही थी
लालटेन सी जलती बुझती गहन अंधेरे तोड़ रही थी
सन्नाटे में गुंज रही वह धीमी शहनाई है!
बहुत दिनों पर आज अचानक अम्मा छत पर आई है!

दूर गांव से आई थी वह दादा कहते बच्ची है
चाचा कहते भाभी मेरी फ़ुलों से भी अच्छी है
दादी को वह हंसती-गाती अनगढ़-सी गुड़िया लगती थी
छोटा में था- मुझको तो वह आमों की बगिया लगती थी
जीवन की इस कड़ी धूप में अब भी वह अमराई है!
बहुत दिनों पर आज अचानक अम्मा छत पर आई है!
नींद नहीं थी लेकिन थोड़े छोटे छोटे सपने थे
हरे किनारे वाली साड़ी गोटे गोटे सपने थे
रात रात भर चिड़िया जगती पत्ता पत्ता सेती थी
कभी कभी आंचल का कोना आँखों पर धर लेती थी
धुंध और कोहरे में डुबी अम्मा एक तराई है!
बहुत दिनों पर आज अचानक अम्मा छत पर आई है!

हंसती थी तो घर में घी के दीए जलते थे
फ़ूल साथ में दामन उसका थामे चलते थे
धीरे-धीरे घने बाल वे जाते हुए लगे
दोनो आँखो के नीचे दो काले चाँद उगे
आज चलन से बाहर जैसे अम्मा आना पाई है!
पापा को दरवाजे तक वह छोड़ लौटती थी
आंखो में कुछ काले बादल जोड़ वह लौटती थी
गहराती उन रातों में वह जलती रहती थी
पूरे घर में किरन सरीखी चलती रहती थी
जीवन में जो नहीं मिला उन सब की मां भरपाई है!
बहुत दिनों पर आज अचानक अम्मा छत पर आई है!

बड़े भागते वह तीखे दिन वह धीमी शांत बहा करती थी
शायद उसके भीतर दुनिया कोइ और रहा करती थी
खूब जतन से सींचा उसने फ़सल फ़सल को खेत खेत को
उसकी आंखे पढ़ लेती थी नदी-नदी को रेत रेत को
अम्मा कोई नाव डुबती बार बार उतराई है!
बहुत दिनों पर आज अचानक अम्मा छत पर आई है!

मां पर लिखी कुछ और कवितायें :

शनिवार, मई 13, 2006

गिनेस बुक में दाखिल अब तक का सबसे बेहतरीन रिकॉर्ड


फ़िलीपींस की राजधानी मनीला में पिछले गुरूवार को एक बेहतरीन रिकॉर्ड बनाने के लिये ३७३८ महिलाओं ने एक जगह एकत्रित हो कर अपने बच्चों को स्तनपान करवाया। यहाँ प्रकाशित लेख के अनुसार फ़िलिपींस में मात्र १६% महिलायें ही अपने बच्चों को स्तनपान करवाती हैं। महिलाओं के इस अभियान से वाकई अगर स्तनपान के प्रति जागृति आती है तो यह अभियान सफ़ल माना जाना चाहिये। मेरे हिसाब से गिनेस बुक में अब तक दाखिल किये गये सबसे बेहतरीन रिकॉर्ड में से यह एक है।

नीचे मेरी पसन्द का एक चित्र भी प्रस्तुत है। यह चित्र सालों से मेरे पर्स में रखा हुआ है, कई लोग अक्सर मुझसे चित्र के लिये पूछते हैं, पर में उन्हें कैसे बताऊं की मेरे लिये या सबके लिये माँ क्या है। वैसे मैने एक संक्षिप्त उत्तर यहाँ देने की कोशिश की है।

बुधवार, मई 10, 2006

चित्र पहेल-४ का हल- लिवींग स्टोन "लिथोप्स"

कोई भी कड़ी नहीं देने के बावजूद भाई लोगों ने बहुत कोशिश की, किसी ने चॉकलेट किसी ने मशरूम तो किसी ने शरीर का कोई अंग बताया परन्तु में आप सबसे माफ़ी चाहुंगा क्यों कि इनमे से एक भी उत्तर सही नही है। हाँ समीर लाल जी ने हर बार की भाँति कुछ कोशिश की उन्होने पहले केक्टस बताया परन्तु पूर्ण विश्वास के साथ नहीं।

जी हाँ यह केक्टस तो नहीं परन्तु यह एक पौधा जरूर है। पत्थर की भांति दिखने वाला यह पौधा दक्षिण अफ़्रीका में बहुतायत रूप से पाया जाता है। इस पौधे का नाम है "लिथोप्स"

ग्रीक भाषा के "लिथो" यानि पत्थर और "आप्स" यानि "कि तरह दिखने वाला"। दो आपस में जुड़े पत्ते वाला यह पौधा रेगिस्तानी इलाकों में पाया जाता है, इस वजह से इसको पानी की आवश्यकता बहुत कम होती है। पहेली में दिखाये गये चित्र की भांति इस के पत्तों पर तरह तरह की डिजायन बनी हुई होती है; जो देखने में बहुत सुन्दर होती है, मानो रंग बिरंगे जवाहरात बिखरे पड़े हों और इसी वजह से इसे "लीवींग स्टोन " भी कहा जाता है। पत्थर की भांति दिखने की वजह से यह जीव जन्तुओं से बचा रहता है और इसी वजह से इस पौधे की उम्र ९० से लेकर १०० साल तक पाई जाती है। नवंबर से मार्च तक इन पौधों पर रंग बिरंगे और खुशबुदार फ़ूल लगते हैं


अब आप गूगल भैया से लिथोप्स कि बारे में ज्यादा जानकारी पुछेंगे तो इस पौधे की विशेषताएं जानकर हैरान रह जायेंगे।
काश कोई ऐसा सर्च इंजन होता जिसमे "दस्तक" के चित्र पहेली के चित्रों को पेस्ट कर ये पता लगाया जा सकता कि ये चित्र किसका हैं तो सागर चन्द नाहर की चित्र पहेली की हवा निकल जाती।
मन्ने तो यान लागे हे सागर के तने अब ब्लोगिंग करता चित्र पहेली ज्यादा "सूट" करे है, क्यूं युगल जी?






मंगलवार, मई 09, 2006

चित्र पहेली - 4

प्रस्तुत है एक और चित्र पहेली, यहाँ दिखाये गये चित्र को पहचानिये; यह क्या है। इस पहेली में कोई कड़ी /हिन्ट नहीं दी जा रही है, नहीं नहीं ...यह पत्थर नहीं है!!!!!!!

शनिवार, मई 06, 2006

रजनीश मंगला जी कि टिप्पणी के बारे में एक सवाल

एडोल्फ़ आईकमान के लेख पर रजनीश मंगला जी की टिप्पणी थी कि कभी कभी में सोचता हुँ कि जर्मनी में रह कर गल्ती तो नहीं कर रहा!" इस बारे मे में रजनीश मंगला जी से पुछना चाहुंगा कि क्या अब भी वहाँ यहूदियों को उसी नज़र से देखा जाता है जिस नज़र से प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के बीच में देखा जाता था?
दूसरी बात यह है कि प्रथम युद्ध में जर्मनी की पराजय के बाद सम्राट विल्हेम कैसर देश की जनता को विजेता मुल्कों की सेना के हवाले छोड़ कर भाग गये और अत्याचारों का जो सिलसिला विजेता मुल्कों ने जर्मनी की मासूम जनता पर ढ़ाना शुरू किया वह असहनीय था, और उस बुरे समय में जर्मनी के यहूदियों ने उन्हे ब्याज पर पैसे दे कर लूटना शुरू कर दिया था। तब देश की दुखी जनता को उस संकट से उबारने के लिये हिटलर ने विजेता मुल्कों के सामने विद्रोह किया और देश की दुखी जनता को संकट से उबारने की कोशिश की,और फ़िर शुरु हुआ विश्व युद्ध-२।
हिटलर ने विजेता मुल्कों के साथ यहुदियों को भी अपना दुश्मन मान कए उन्हे मरवाना शुरू किया जो जरमनी की हार और उसकी आत्महत्या पर ही जाकर रुका, तब तक ६० लाख यहूदी साफ़ हो चुके थे।
में मानता हुँ कि हिटलर ने अपने जीवन में एक ही सबसे बड़ी भूल बस यही की थी, कि उसने सारे विश्व के यहूदियों को अपना दुश्मन माना; हिटलर की उस भूल को अगर एक बार दरकिनार किया जाय या छोड़ दिया जाय तो सारे विश्व में हिटलर से बड़ा देशभक्त पैदा नहीं हुआ!!
क्या में सही हूँ, आप अपनी राय दें।

शुक्रवार, मई 05, 2006

आज का सबसे दुखद समाचार

आज का सबसे दुखद समाचार हिन्दी फ़िल्मों के प्रख्यात और मेरे सबसे पसंदीदा संगीतकार नौशाद साहब का निधन. नौशाद साहब उन हिन्दी फ़िल्म संगीत की आखिरी कड़ी थे जिनके संगीत निर्देशन में स्व. के.एल. सहगल ने भी गाया था. नौशाद साहब का एक शेर प्रस्तुत हे
अब भी साज़-ए-दिल में तराने बहुत हैं
अब भी जीने के बहाने बहुत हैं
गैर घर भीख ना मांगो फ़न की
जब अपने ही घर में खजाने बहुत हैं
है दिन बद-मज़ाकी के "नौशाद" लेकिन
अब भी तेरे फ़न के दीवाने बहुत हैं.

स्व. नौशाद साहब को हार्दिक श्रद्धान्जली, अल्लाह उनकी रूह को सुकुन फ़रमाये

विश्व के सबसे क्रूर जल्लाद एडॉल्फ़ आईकमान की कहानी

द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी की पराजय और हिटलर के आत्महत्या कर लेने के बाद हिटलर की सेना के सारे जिन्दा बचे बड़े अधिकारी, जर्मनी से भाग गये। उनमें से एक अधिकारी एडॉल्फ़ आईकमान जो कि खास यहुदी जनता को सजा देने के लिये बनायी गयी खास टुकड़ी और गेस्टापो का मुखिया था, और जिसने विश्व युद्ध के दौराने मारे गये ६० लाख यहुदियों में से लगभग ५० लाख यहुदियों (जिनमें बच्चे और महिलायें भी थी) को तो खुद आइकमान ने अपने मार्गदर्शन और अपने सामने मरवाया था।

एसा क्रूर पशु समान इंसान जर्मनी की पराजय के बाद जरमनी से अपनी सारी पहचान मिटा कर भाग कर अर्जेन्टीना में जा छुपा और अर्जेन्टीआ में आईकमान रिकार्डो क्लेमेंट के नाम से रहने और मर्सेडीज बेन्ज़ में एक मामुली मज़दूर का काम करने लगा।

इस्रायल उसे भूला नहीं था और उसे उस के किये कर्मों की सजा देने के लिये मचल रहा था । परन्तु आइकमान शायद भूल गया था कि उस का पाला इस्रायल की जासूसी संस्था मोसाद के शातिर जासूसों से पड़ने वाला है। किस तरह मोसाद के प्रमुख इसर हेरेल ने इस्रायल से हज़ारों किलोमीटर दूर अर्जेन्टीना से उसे इस्रायल ला कर ( अपहरण कर) आईकमान को उसके अपराधों की सजा दिलवायी, बहुत जबरदस्त कहानी है अगर आप एसे वाकई पढ़ना चाहते हैं तो यहाँ, यहाँ और यहाँ देखें पल पल आश्चर्य में डाल देने वाली और मोसाद के जासूसों को चुनौती देने वाली कहानी।यहाँ मोसाद के प्रमुख इसर हेरेल के किताब दी हाऊस ओन गेरीबाल्डी स्ट्रीट यहाँ देखिये।

पॉल पॉट के बारे में फ़िर कभी.....!!

गुरुवार, मई 04, 2006

चित्र पहेली-३ का उत्तर

बहुत अरमानों के साथ चित्र पहेली शुरु की थी पर लगता है कि किसी को इसमें रुचि नहीं है पर जब पहेली पुछ ली तो उसका उत्तर देना आवश्यक है, सो इसका उत्तर दे रहा हुँ पहला चित्र हिटलर के सेनापति एडॉल्फ़ आईकमान का हे और दुसरा चित्र कम्बोडिया के तानाशाह पॉल पॉट का है. अगर आप इनके बारे में ज्यादा जानना चाहते हों तो लिखें या, यहाँ और यहाँ देखें.