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शुक्रवार, मई 05, 2006

विश्व के सबसे क्रूर जल्लाद एडॉल्फ़ आईकमान की कहानी

द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी की पराजय और हिटलर के आत्महत्या कर लेने के बाद हिटलर की सेना के सारे जिन्दा बचे बड़े अधिकारी, जर्मनी से भाग गये। उनमें से एक अधिकारी एडॉल्फ़ आईकमान जो कि खास यहुदी जनता को सजा देने के लिये बनायी गयी खास टुकड़ी और गेस्टापो का मुखिया था, और जिसने विश्व युद्ध के दौराने मारे गये ६० लाख यहुदियों में से लगभग ५० लाख यहुदियों (जिनमें बच्चे और महिलायें भी थी) को तो खुद आइकमान ने अपने मार्गदर्शन और अपने सामने मरवाया था।

एसा क्रूर पशु समान इंसान जर्मनी की पराजय के बाद जरमनी से अपनी सारी पहचान मिटा कर भाग कर अर्जेन्टीना में जा छुपा और अर्जेन्टीआ में आईकमान रिकार्डो क्लेमेंट के नाम से रहने और मर्सेडीज बेन्ज़ में एक मामुली मज़दूर का काम करने लगा।

इस्रायल उसे भूला नहीं था और उसे उस के किये कर्मों की सजा देने के लिये मचल रहा था । परन्तु आइकमान शायद भूल गया था कि उस का पाला इस्रायल की जासूसी संस्था मोसाद के शातिर जासूसों से पड़ने वाला है। किस तरह मोसाद के प्रमुख इसर हेरेल ने इस्रायल से हज़ारों किलोमीटर दूर अर्जेन्टीना से उसे इस्रायल ला कर ( अपहरण कर) आईकमान को उसके अपराधों की सजा दिलवायी, बहुत जबरदस्त कहानी है अगर आप एसे वाकई पढ़ना चाहते हैं तो यहाँ, यहाँ और यहाँ देखें पल पल आश्चर्य में डाल देने वाली और मोसाद के जासूसों को चुनौती देने वाली कहानी।यहाँ मोसाद के प्रमुख इसर हेरेल के किताब दी हाऊस ओन गेरीबाल्डी स्ट्रीट यहाँ देखिये।

पॉल पॉट के बारे में फ़िर कभी.....!!

5 टिप्‍पणियां:

Basera ने कहा…

कभी कभी मैं सोचता हूँ कि जर्मनी में रहकर मैं कोई ग़लती तो नहीं कर रहा!

Udan Tashtari ने कहा…

सागर भाई
बडी रोचक जानकारी लाते हैं आप हरदम। :)

समीर लाल

विवेक रस्तोगी ने कहा…

अच्छा है अच्छा लगा

बेनामी ने कहा…

मस्त माल लिखते हो यार.

पर भईया, मैं तो रजनीश के बारे में सोच रहा हूँ.

भाई, कोई परेशानी तो नहीं जर्मनी में ???

:D

ई-छाया ने कहा…

बहूत ज्ञानवर्धक जानकारी दी है, साधुवाद