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शनिवार, जून 17, 2006

अमूल विज्ञापन

आखिर मास्साब ने विज्ञापनों का चस्का लगा ही दिया।
विज्ञापन बनाने में अमूल का जवाब नहीं! किसी भी विषय (Current affair) पर विज्ञापन बनाने में माहिर अमूल के विज्ञापनों में ने हास्य का पुट अधिक होता है ही साथ में सामाजिक चेतना भी होती है ; कुछ विज्ञापन देखिये

फ़िल्म: फ़ना

नर्मदा और आमिर

दा विन्ची कोड

आरक्षण

फ़ैशन वीक

च...च...च बेचारा सौरव

मंगल पान्डे

इस श्रेणी में और भी कई विज्ञापन है जो अगले अंकों में प्रकाशित होंगे

सौजन्य: अमूल

7 टिप्‍पणियां:

पंकज बेंगाणी ने कहा…

धन्यवाद सागरभाई.

अमुल के इन शानदार विज्ञापनों को प्रदर्शित करके आपने कमी पुरी की है.

मैं कुछ और प्रकाश डालना चाहुँगा.

अमुल के इन विज्ञापनों के रचयिता श्री सेल्वेस्टर दा कुन्हा हैं, जो दाकुन्हा कम्युकेशन के चेयरमेन हैं तथा 1966 से अमुल ब्रांड से जुडे हुए हैं. 73 वर्ष के श्री कुन्हा पिछले लगभग 40 वर्षों से अमुल के विज्ञापन बनाते आ रहे हैं.

अमुल विज्ञापनों में नज़र आने वाला पात्र श्री ऑस्टेस फर्णांडिस ने बनाया था.

Jagdish Bhatia ने कहा…

धन्यवाद सागरभाई.
एक क्लासिक तरीका रहा है अमुल के विज्ञापनों का।
बहुत ही अच्छा संग्रह है।

हिंदी ब्लॉगर/Hindi Blogger ने कहा…

बहुत-बहुत धन्यवाद.

अनूप शुक्ल ने कहा…

बहुत अच्छे!

अनुनाद सिंह ने कहा…

विज्ञापन हो तो ऐसा | बिल्कुल निरापद | अपनी ओर खीच लेते हैं | दो क्षण सोचने के लिये मजबूर करते हैं | रचनाशीलता की साक्षात मूर्ति होते है | सदा इनकी प्रतीक्षा रहती है |

Pratyaksha ने कहा…

बढिया

संगीता मनराल ने कहा…

बहुत खूब सागर जी,

मुझे भी अमूल के विज्ञापन बहुत पंसद हैं| ठीक वैसे ही जैसे हारवेस्ट ब्रैड (Harvest Bread) के विज्ञापन पर लिखे जाने वाले स्लोगनस "वर्तमान विषय" पर आधारित होते है|